नीलबाग़ के डेविड | NEELBAGH KE DAVID
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
250 KB
कुल पष्ठ :
21
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
एस० आनन्द लक्ष्मी - S. ANAND LAXMI
No Information available about एस० आनन्द लक्ष्मी - S. ANAND LAXMI
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh
रोजलिंड विल्सन - ROSALIND WILSON
No Information available about रोजलिंड विल्सन - ROSALIND WILSON
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्कूल का विज्ञान का पाठ्यक्रम उठाकर देखिए, यह उन अपेक्षाओं को ध्यान
में रखकर तैयार किया जाता है जो विश्वविद्यालय जाने वाले छात्रों से की
जाती हैं । किसी औसत ग्रामीण शिक्षक के लिए उसे पढ़ पाना बहुत मुश्किल
होता है, और यही स्थिति ग्रामीण बच्चों की भी है। इसलिए वो पढ़ाई को
बीच में ही छोड़ देते हैं, जो कि बहुत सुविधाजनक भी है, क्योंकि हम नहीं
चाहते कि इसी व्यवस्था में, वे लगातार, हमारे साथ-साथ चलते रहें ।
रोजलिंड ; लोक शिक्षा की आप ऐसी परिकल्पना कैसे कर सकते हैं कि
पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले ऐसा न कर पाएं। आप अपने ही स्कूल को लें।
इसे विशेष प्रतिभा सम्पन्न लोग संचालित करते हैं। ऐसा तो नहीं लगता कि
जिस बड़े पैमाने पर इसकी जरूरत है, उस पर यह प्रणाली व्यवह्ारिक
साबित हो पाएगी ।
डेविड : नहीं, हमारा स्कूल व्यवहारिक
है। मैंने हाल ही में अपने एक मित्र की पत्रिका
के लिए लेख लिखा है जिसमें इस बात को
बहुत साफ-साफ रेखांकित किया गया है कि
जब तक शिक्षा नीति बनाने वाले इन सारी
समस्याओं पर ठीक ढंग से सोचने नहीं लगेंगे
तब तक कुछ नहीं किया जा सकता है। वहां
एक तरह का दोहरा सोच देखने में आता है । जो
लोग ऊंचे ओहदों पर बैठते हैं वो सोचते हैं कि बहुत कुछ हो रहा है, परंतु
वास्तव में वह हो ही नहीं रहा। वे सोचते हैं कि पाठ्यक्रम बहुत अच्छा है पर
उसे ठीक से व्यवहार में लागू नहीं किया जा रहा है।
अगर आप हमारे स्थानीय कालेज में जाएंगी, जो कि 15 मील की दूरी
पर है, आप देखेंगी कि कुछ लोगों ने वैकल्पिक विषय अंग्रेजी लिया है।
उनके पाठ्यक्रम में कुछ पुस्तकें हैं, मान लीजिए - रिचर्ड थर्ड या फिर टेल
आफ टूर सिटीज़ हैं | कोई विद्यार्थी इन पुस्तकों को नहीं पढ़ेगा। पढ़ना तो दूर
वे उन्हें खरीद कर भी नहीं लाएंगे। वे उन पुस्तकों के बारे में कुछ निबंध याद
26
कर लेंगे और परीक्षा में वही लिख आएंगे। जो लोग पाठ्यक्रम बनाते हैं,
परीक्षा लेते हैं और जो पढ़ाते हैं, वे सभी खुश हैं कि छात्र साहित्य पढ़ रहे हैं
जबकि वास्तव में ऐसा कुछ हो ही नहीं पा रहा है (हंसते हैं) ।
रोजलिंड : आपकी राय में शिक्षा की योजना बनाने वालों को क्या करना
चाहिए?
डेविड : जाहिर तौर पर बहुत सारी
चीज़ें हैं जो की जानी चाहिए। मिसाल के
तौर पर बहुत सारे लोग दसवीं की परीक्षा में
फेल होते हैं। अब इस स्थिति से बचने का
एक तरीका तो यह हो सकता है कि एक
ऐसी नीति निर्धारित की जाए जिसके तहत
विद्यार्थी विभिन्न स्तरों पर, स्वेच्छा से, कितने
ही कम-ज़्यादा विषय लेने के लिए स्वतंत्र हो । आप चाहें तो प्रारंभिक गणित
लें या फिर एडवांस्ड गणित। इन विषयों में ग्रेड दिए जा सकते हैं और एक
बच्चा जब विद्यालय स्तर की शिक्षा पूरी करे, उसके बाद चाहें तो वह तीन
विषय ले, या पांच अथवा दो। इसका मतलब यह हुआ कि यदि कोई छात्र
विश्वविद्यालय स्तर पर भौतिको, रसायन शास्त्र और गणित विषय पढ़ना
चाहता है तो वो सेकंडरी स्तर पर एडवांस्ड गणित, भौतिकी और रसायन
विषय ले सकता है। अगर किसी व्यक्ति की ऐसी कुछ महत्वाकांक्षा न हो,
और वो शायद बहुत अधिक प्रतिभाशाली भी न हो, तो वो प्रारंभिक अंग्रेज़ी,
प्रारंभिक तेलगू, प्रारंभिक गणित और प्रारंभिक पर्यावरण विज्ञान जैसे विषय
चुन सकता है। ऐसे में उसे चार सी ग्रेड मिल सकते हैं।
अब यदि अगर सरकार को चपरासियों की ज़रूरत है तो उसकी वांछित
योग्यता चार सी ग्रेड हो सकती है । किसी काम के लिए चार बी ग्रेड अथवा
युनीवर्सिटी को किसी कार्य के लिए तीन या पांच या दस ए ग्रेड वालों की
ज़रूरत हो सकती है। इसका अर्थ हुआ कि सब पास होंगे, लेकिन अलग-
अलग स्तर पर ऐसे में किसी को नियुक्ति देते समय आपको यह नहीं पूछना
हि
User Reviews
No Reviews | Add Yours...