बच्चे और तराजू | BACHCHE AUR TARAZOO

BACHCHE AUR TARAZOO by अरविन्द गुप्ता - ARVIND GUPTAजोस एलस्टगीस्ट -JOS ELSTGEESTपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बच्चे तराज़ू से प्रश्न कैसे पूछें? अगर बचे तराज़ुओं से सिर्फ खेलते रहें और उन्हें कुछ भी दिशा या निर्देश न दिए जाएं, तो शायद वे रोचक चीज़ें अवश्य खोजेंगे, परंतु विज्ञान बहुत कम सीखेंगे | शिक्षक का काम यह है कि वह बच्चों के काम को एक व्यवस्थित रूप देने में मदद करें जिससे कि बच्चे अगले चरण में आसानी से प्रवेश कर सकें। बच्चों की आपसी चर्चा या शिक्षक के साथ चर्चा, सही सवाल पूछने का, या कोई सुझाव देने का अच्छा मौका है। इस प्रकार तराज़ू से अच्छे जवाब मिल पाएंगे। प्रश्न, बच्चों को और खोजने की प्रेरणा देते हैं। तराज़ुओं से खोजबीन और प्रयोगों के दौरान बच्चे कई वैज्ञानिक कुशलताएं ग्रहण करेंगे जैसे बारीकी से जांच-पड़ताल, वर्गीकरण, जोड़ना- घटाना, संख्याओं की तुलना, अलग-अलग पदार्थों के गुणधर्म, प्रयोग सोचना और करना, नमूने पहचानना और संबंध जोड़ना और ऐसे प्रश्न पूछना जो प्रेरणास्पद हों और काम को आगे बढ़ाएं। 4 शुरू में सावधानी की एक अपील तराज़ू एक तंत्र है यानि छोटी सी मशीन है कुछ करने के लिए। उससे कुछ करने के बाद ही हम उसकी कार्यविधि के बारे में कुछ खोजबीन कर सकते हैं और उसको संचालित करने वाले नियमों को समझ सकते हैं। क्योंकि तराज़ू एक यंत्र है जिससे कुछ करा जा सकता है इसलिए उसे बच्चों के हाथों में सौंपा जा सकता है। तराज़ू बच्चों को अपनी ओर आमंत्रित करेगा। बच्चे उससे खेलेंगे, खोजबीन और प्रयोग करेंगे और नए अनुभव प्राप्त करेंगे। हमारे प्राथमिक स्कूलों के बच्चों के लिए इतना ही बहुत है| खोजबीन द्वारा बच्चों का दिमाग एक उर्वर भूमि बन जाता है। बाद की अवधारणाएं और अमूर्त बातों को फिर बच्चे बहुत आसानी से ग्रहण कर लेते हैं।




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