घर की ललक | GHAR KI LALAK
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
19
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
निकोलाई तेलेशोव - NIKOLAI TELESHOV
No Information available about निकोलाई तेलेशोव - NIKOLAI TELESHOV
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)“अच्छा तो अनाथ है?” किसानों ने पूछ और फिर से स्योम्का की ओर देखने
लगे।
फिर वे फूसल की, अपने काम की बातें करने लगे; जब खाना तैयार हो गया, तो
खाने लगे।
“खा ले, बच्चे, खा ले,” स्योम्का को खाना देते हुए वे कह रहे थे। “देखो तो,
कैसे ठंड से ठिठुर रहा है।”
स्योम्का ने भर पेट खाना खाया और आराम करने को लेट गया। गरम खाने के
बाद आग के पास लेटना बड़ा अच्छा लग रहा था। लकड़ियाँ चटख रही थी, धुएँ की
और ताजी छाल की गंध आ रही थी-बिल्कुल वैसे ही, जैसे उसके गाँव बेलये में हुआ
करता था। हाँ, अगर वह घर पर होता तो कुछ आलू खोद लाता और उन्हें आग में
डाल देता, स्योम्का को भूने हुए आलू याद हो आए, जिनकी भीनी-भीनी महक आती
है ओर जिनसे हाथ जलते हैं और जो दाँतों तले खस-खस करते हैं।
स्योम्का के सिर के ऊपर तारे चमक रहे थे। बेलये के आसमान में भी इतने सारे
तारे होते थे और इतने साफ़ चमकते थे। स्योम्का का मन कहता था, हाय बेलये कहीं
पास ही हो। टॉगें थकावट से दुख रह थीं, पीठ व बगल को ज़मीन से ठंडक पहुँच
रही थी और चेहरे, छाती व घुटनों को आँच की सुहानी गर्मी मिल रही थी।
किसान अभी भी कुछ बाते कर रहे थे और बाबा भी उनके साथ बातें कर रहा
था। स्योम्का को उसकी आवाज सुनाई दे रही थीः “बड़ा मुश्किल है जीना, भाइयो,
बड़ा मुश्किल है...” किसान भी कह रहे थे कि बड़ा मुश्किल है। फिर उनकी आवाजें
दबी-दबी सी और धीमी हो गईं, मानो मधुमक्खियाँ भिनभिना रही हों ...फिर स्योम्का
को आँखों के सामने लाल घेरे बनने लगे, फिर चौड़ी नदी बहने लगी और उसके पार
था बेलये गाँव। स्योम्का नदी में कूदना चाहता था, पर अनजान बाबा ने उसकी टाँग
पकड़ ली और कहा : “मुश्किल है! मुश्किल है!” इसके बाद फिर लाल और ह हे घेरे
बनने लगे, और सब कुछ गडमड हो गया।
स्योम्का सुध-बुध खोए सो रहा था।
घर की ललक
User Reviews
No Reviews | Add Yours...