गर्व से कहो हमारी बेटियां हैं | GARV SE KAHO HAMARI BETIYAN HAINBGVS

Book Image : गर्व से कहो हमारी बेटियां हैं  - GARV SE KAHO HAMARI BETIYAN HAINBGVS

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

विष्णु नागर - VISHNU NAGAR

No Information available about विष्णु नागर - VISHNU NAGAR

Add Infomation AboutVISHNU NAGAR

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो पद्मा सचदेव ( डोगरी कवयित्री ) ट्ः दुनिया में अभी भी जो कुछ असली, सुंदर व बिना मिलावट के बचा हे वो है बच्चे का पैदा होना, उसकी मुस्कुराहट और उसका पहली बार खडे होकर एक-दो कदम उठाना। हर बार बच्चा पैदा हुआ, बैठा, लटका, खड़ा हुआ, चला, हर बार ये चाव वैसा ही खिला जैसे इस धरती पर आनेवाले पहले बच्चे के समय खिला था। जिनके घर बच्चा पैदा होता है, उनके उछाह के क्‍या कहने ! सदियों से पहली बेटी की आवभगत भी ठीक-ठाक रहती है। डोगरी में एक कहावत है- अये नार सलक्खनी, जिन्न पहलें जाई लच्छमी। (वही सुलक्षणा स्त्री है जिसने पहली बेटी को जन्मा हो।) ऐसे में जब दीये की लौ में पहली बार आंख जरा-सी खोलते ही बच्चा आंख मींच लेता है तो दीये के आगे हाथ रखकर मां अंधेरा करती है, ताकि उसकी आंखें देख सकें। बच्चा भी पहले मिंची-मिंची आंखों से मां को ही देखकर अंगड़ाई लेता है। जब तक मेरी सास जीवित थीं, घर में बच्चे का न होना कभी खला नहीं। वो घर की मां भी थीं और बेटी भी। उनके जाने के बाद ही लगा, घर में एक बच्चा भी होना चाहिए। जब वो जीवित थीं, मुझसे कभी-कभी कहतीं, “देखो, अभी तुम्हारी बेटी मेरी चारपाई के गिर्द चक्कर काट रही थी।” उन्होंने कभी बेटा नहीं कहा, इसलिए उनके जाने के बाद मेरी बेटी ही पैदा हुई। 16




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now