अक्ल बड़ी या भैंस | AKAL BADI YA BHAINS
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
456 KB
कुल पष्ठ :
8
श्रेणी :
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जयमाला सोनी - JAIMALA SONI
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)काशी के पंडित ने सोचा कि लट्ट पांडे को सबक जरूर
सिखाना है। लट्ट पांडे की बड़ी-बड़ी मूँछें थीं। जाते समय
उन्होंने गाँव वालों से कहा कि शास्त्रों में लिखा है कि यदि
पूरण मासी के दिन एक पंडित दूसरे पंडित को हरा दे, तो जीते
हुए पंडित को मूँछ का बाल अनाज में रखने से कभी अनाज
नहीं खत्म होता। यह सुनते ही लोग दौड़ कर लट्ट पांडे के घर
पहुँचे | देखते-देखते लट्ट पांडे की मूंछ उखाड़ ले गए। दर्द से
कहराते रहे लट्टु पांडे।
77
खिलाएंगे। सूरदास का
टेढ़ी खीर
एड आदमी अंधा था। वह एक जगह बैठा भीख माँगा
रा था। सभी उसे सूरदास कह कर पुकारते थे। एक
दिन उसका पड़ोसी उसके पास आकर बोला-भाई सूरदास _
आज मेरे यहाँ भोजन करने चलो-मेरे पिता का श्राद्ध है।
सूरदास बोला-अच्छा ! आज हमें क्या खिलाओगे? पड़ोसी
बोला-बढिया खीर
पहले कभी खीर खाने
का अवसर न आया
था। उसने हैरत में
भरकर बोला-खोीर ?
पड़ोसी बोला-हाँ!
सूरदास ने खुश होकर
जानकारी के लिए
पूछा-भाई खीर केसी
होती है? पड़ोसी ने
कहा-सफेद। सूरदास
ने फिर पूछा-सफेद
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