ग्रिगोर मेंड़ेन - जीव विज्ञान के जनक | GREGOR MENDEL - JEEV VIGYAN KE JANAK

GREGOR MENDEL - JEEV VIGYAN KE JANAK by नरसिंह दयाल - NARSINGH DAYALपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जिमनाजियम में लिखाया गया । त्रोपाउ का यह ग्रामर स्कूल हिचिंत्से से 70 किलोमीटर दूर था। : उस जमाने में यह इलाके का सर्वश्रेष्ठ स्कूल था। यहां के सभी शिक्षक बहुत योग्य थे। एक साधारण किसान परिवार के बेटे का वहां पढ़ना बहुत बड़ी बात थी। योहान भी परिवार की माली हालत का अच्छी त्तरह समझते थे । उन्हें कभी-कभी लगता था कि वे पिता पर नाहक ही बोझ बनते जा रहे हैं। पिता का आर्थिक भार कम करने और अपनी पढ़ाई जारी रखने के ख्याल से उन्होंने छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया। ट्यूशन से हुई आमदनी वे अपनी पढ़ाई पर खर्च करने लगे | इस तरह उनकी पढ़ाई ठीकठाक चलने लगी । इसी बीच 183४ में उनके परिवार में एक बड़ा हादसा हो गया | उस समय उनकी उम्र 16 वर्ष को थी | उनके पिता खेतों में काम कर रहे थे । अचानक पास के पेड़ से एक मोटी डाली ट्टकर उन पर आ गिरी उन्हें बहुत गहरी चोट लगी और वे बुरी तरह घायल हो गए। काफी दवा-दारू कराने के बाद भी वे ठीक नहीं हो सके और बीमार रहने लगे | उनकी पसलियां ट्ट गई थीं। अब उनसे खतीबाड़ी का काम नहीं हो सकता था | परिवार पर तो जैसे संकट का पहाड़ ही टूट गया था | खबर पाते ही योहान घर आए । पिता की हालत देखकर वे बडे दुःखी हुए, लेकिन वे कर भी क्या सकते




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