भारतीय चित्रकला की कहानी | BHARTIYA CHITRAKALA KEE KAHANI

Book Image : भारतीय चित्रकला की कहानी  - BHARTIYA CHITRAKALA KEE KAHANI

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बालों की लटें, सीधी लंबी नाक, पतले होठों पर मुस्कुराता कोमल चेहरा। राधा का यह चेहरा बहुत ही मोहक दिखता है। उसके परिधान, मोतियों के गहने, उसकी बारीकियां, सुनहरी नकक्‍काशी वाली पारदर्शक चुनरी- उसकी मोहकता को और बढ़ाते हैं। कृष्ण तो मूलतः देवता स्वरूप हें। उनका भी चौड़ा माथा, कमल की आकृति वाली भौंहें, कमल जेसी आंखें, सीधी नाक, नाजुक हनुवटी, संवेदनशील होठों पर दिखाया गया कृष्ण हास्य, केसरिया रंग की खूबसूरत पगड़ी- कृष्ण का यह राजस रूप, राधाकृष्ण का एक-दूसरे की ओर देखना, यह सब उचित प्रेम-भावना व्यक्त करता है। बनीठनी के बारे में एक और बात है। इसके हास्य की तुलना लिओनार्दो-दा-विंची के 'मोनालिसा' से की जाती है। इसे ' भारतीय मोनालिसा' भी कहा गया है। आपने “मोनालिसा' का चित्र देखा है? नहीं? तो जरूर देखिए और बताइए आपको क्‍या लगता है? वारली चित्रकला क्या आपको ऐसा लगता है कि यह गोल और त्रिकोणी इंसान आपने कहीं देखे हैं? शायद हो सकता है। आजकल ये चित्र बडे-बड़े सरकारी कार्यालयों में, उपहार-गृहों में और बड़े-बड़े घरों में भी दिखने लगे हैं। यह 'वारली चित्रकला' है। असल में भिमबेटका की आदिम चित्रकारी से जुड़ी हुई, आदिम चित्रकला परम्परा, भारत के अलग-अलग प्रदेशों में आज भी मौजूद है। संथाल, गोंड, वारली- इन्हीं में से कुछ हैं। महाराष्ट्र के थाने जिले में यह वारली चित्रकारी कई वर्षों से शुरू है। लेकिन इसकी खोज हाल ही के कुछ सालों में हुई। श्री भास्कर कुलकर्णी नामक चित्रकार ने यह चित्रकारी पूरी दुनिया के सामने लाई थी। वारली समाज आज भी आदिमानव का जीवन ही व्यतीत कर रहा है। वारली घरों में आज भी त्यौहारों के बहाने औरतों द्वारा दीवारों पर चित्र बनाने की प्रथा है। यहां पारम्परिक प्रथा से तो स्त्रियां चित्र बनाती हैं, पर यह सुनकर ताज्जुब होगा कि उनके अच्छे चित्रकार के तौर पर, जिसे राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, “जीव्या सोम्या म्हशा' नामक पुरुष चित्रकार है। 16




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