नंदी की पीठ पर कूबड़ | THE HUMP ON NANDI'S BACK

THE HUMP ON NANDI'S BACK by अरविन्द गुप्ता - ARVIND GUPTAदामोदर धर्मानंद कोसांबी - Damodar Dharmananda Kosambiपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अलावा खाने को कुछ और नहीं था। धीरे-धीरे उन्होंने सबसे मोटे बीजों को छांट कर अलग किया। सभी घासें एक-जेसी नहीं होती हैं। लोगों ने पाया कि अच्छी घासें सबसे मुलायम और नर्म मिट्टी में ही अच्छी उगती हैं। मुलायम मिट्टी सभी जगह नहीं मिलती है। परंतु अगर कंद को एक नुकीली छड़ से खोदकर निकाला जाए तो अगले साल उस जगह पर अच्छी घास उगेगी। इसी कारण लोगों ने मोटी घास के बीजों को बोने के लिए जमीन में गड्ढे खोदने शुरू किए। लोग अगली फसल के लिए हमेशा सबसे मोटे बीज ही बोते।' राम: “हम अनाज के बीजों को तो इस तरह नहीं बोते हैं। हम हल से खेत जोतते हैं। लोगों ने हल का उपयोग करना कैसे सीखा?' पीपल का पेड: 'इसे सीखने में उन्हें बहुत समय लगा। पहले उन्होंने नुकीली छड़॒ से जमीन की सतह को खुरचा। परंतु उससे कोई खास फायदा नहीं हुआ। वैसे, कच्चा अनाज खाने में बहुत अच्छा नहीं होता। इसके लिए इंसान ने आग की जानकारी हासिल की। शुरू में उन्हें जंगल की भीषण आग से डर लगता था। वे आग और जंगली जीवों को देखकर डर से भागते थे। फिर उन्होंने खाना पकाना सीखा। वे आग से मिट्टी के बर्तन पका पाये। जमीन की गहरी जुतायी के लिए उन्हें ऐसी चीज की जरूरत थी जो अधिक ताकत से खींच सके। तब उन्होंने हल के टेढ़े फल को खींचने के लिए बेलों का इस्तेमाल करना शुरू किया। हल को खींचने के लिए मनुष्य को बडे जानवरों की जरूरत थी। इसलिए उन्होंने जानवरों को मांस के लिए मारना बंद किया। इस प्रकार उन्हें नन्‍्दी जेसे बढ़िया और ताकतवर बैल मिले। राम: “जरा कल्पना करो मेरे नन्‍्दी को मारने की! कितनी बेवकूफी की बात है। पर अभी आपने मनुष्य द्वारा खुद अपने निर्माण का जिक्र किया था।' पीपल का पेड: “मैंने अभी तुम्हें बताया कि किस प्रकार मनुष्य को आग ने भयभीत करना बंद किया। शुरू में लोग आग को भगवान के रूप में पूजते थे। धीरे-धीरे इंसानों ने आग बनाना सीखी। इसके लिए उन्होंने दो सूखी लकड़ियों को आपस में रगड़ा। फिर उन्होंने मुझे और नन्‍्दी को पूजना शुरू किया। हमने मनुष्य को भोजन दिया। मेरे फल अभी भी खाने योग्य हैं। परंतु अब लोगों को मेरे छोटे भाई अंजीर के फल ज्यादा स्वादिष्ट लगते हैं। अंजीर आकार में बड़ी और मीठी होती हैं। वैसे अंजीर का पेड़ छोटा और कमजोर होता है। उसे अच्छी मिट्टी की जरूरत होती है। और साथ में ढेर पानी की भी। जंगल की सफाई, कटाई हुई। लेकिन मैं भाग्यवश बच गया। कई बार जंगल में आग लगी और मेरे परिवार के तमाम सदस्य मारे गए। मैं कई बार बाल-बाल बचा। लोग आज भी आग, नन्‍्दी और मेरी पूजा करते हैं। पर अब यह पूजा-उपासना कम हो रही है। हमने मनुष्य को नहीं बनाया। मैं यह बात स्पष्ट करना चाहता हूं।' राम: 'फिर किसने बनाया?! पीपल का पेड: “वर्तमान मनुष्य को खुद उसने ही बनाया है। शुरू में वो छोटा और बंदर जैसा अच्छा दोस्त था। परंतु वो निस्सहाय था। आग के बाद उसने धातुओं को खोजा। पहले तांबा। फिर लोहा। उससे पहले मनुष्य ने पत्थरों के औजार बनाए। लोगों ने शिकार के लिए तीर-कमान बनाए। उन्होंने भोजन को संचित कर सुरक्षित रखने के लिए टोकरियां और चमडे के थेले बनाए। मछलियां पकड़ने के लिए जाल बनाए। इस प्रकार लोगों को अधिक भोजन मिल पाया। खेती-बाड़ी की कठिन मेहनत ने मनुष्य को बलवान बनाया। लोग अपने सिर पर भारी बोझ ढोने लगे। इस कारण लोग सीधे खड़े होकर चलने लगे। लोगों ने झोपड़ियां और घर बनाये। वे कपड़े पहनने लगे। पुराने जमाने में कई बडे-बूढ़े मनुष्य भी मेरी छांव तले नंगे रहते थे। बिल्कुल वैसे ही जैसे तुम बचपन में नंग-धड़ग घूमते थे।' राम: “गर्मी के दिनों में मुझे अभी भी कपडे बिल्कुल नहीं सुहाते हैं। परंतु मेरी मां मुझे नंग-धड़ंग दौड़ने से मना करती हैं। अब मुझे आप एक बात और बतायें। यह भगवान कब आये?! पीपल का पेड: “पहले लोगों ने चीजों के उगने के बारे में जाना। उन्होंने उगती चीजों को अपने उपयोग के लिए इकट्‌ठा किया। इससे लोगों को लगा कि सभी चीजों को कोई महान माता जन्म देती है। हम अभी भी कहते हैं, “पृथ्वी हमारी माता है।' फिर इंसान ने इकट्ठी की गई चीजों से कहीं ज्यादा चीजें खुद बनाना सीखीं। तब उसने सोचा, “मुझे भी किसी ने बनाया होगा?” तब इंसानों ने भगवान को जन्म दिया। लोगों ने कहा, 'भगवान ने हर चीज बनायी हे।' परंतु मुझे असली सच पता है। मैं मनुष्य के सभी भगवानों से अधिक बूढ़ा हूं। मैंने मनुष्य को स्वयं खुद का निर्माण करते हुए देखा है। उसे अभी इस काम को और आगे बढ़ाना है। वो कभी-कभी मनुष्य जाति के अन्य लोगों के साथ बहुत क्रूर व्यवहार करता है।' अब शाम ढलने लगी थी। राम की मां एक टोकरी में लाल फूल लेकर आयीं। उन्होंने टोकरी को तालाब के किनारे रखा। फिर उन्होंने बूढ़े पीपल के पेड़ के सामने झुक कर उसका नमन किया। राम की मित्र मंडली वहां से खिसक ली। मां ने कहा, 'राम, इधर आओ। जल्दी तैयार हो। आज रात को नन्‍्दी को जलूस में सबसे आगे रहना है। तुम्हें पता है कि नन्‍्दी अन्य गाय-बैलों से पहले पैदा हुआ था। चलो, ननन्‍्दी को घर ले चलकर उसे सजायें।' अंत




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