पानी बरसने वाला है | PAANI BARASNE WALA HAI
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
51
श्रेणी :
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)“आज जब इधर आ रहा था तो वह प्यारा जीव, तेंदुआ मिला था ।” भालू उसी तरह
शेर को देखते-देखते बोला, “बता रहा था, वह क्षेत्र तुम्हारा ही है और उधर शिकार तुम्ही
करते हो और कि वह छोड़ा हुआ शिकार तुम्हारा ही हो सकता है ।” कहते-कहते भालू ने
दृष्टि नीचे कर ली और नीचे देखते-देखते ही बोला, “तेंदुआ बता रहा था कि उस रात
उसका भी पेट भरा हुआ था। इस कारण उसने भी तुम्हारे शिकार को छुआ तक नहीं!
रीछ आगे यों बोला, जैसे असली रहस्य पर से परदा अब हटा रहा हो, “तुम्हें नहीं मालूम
वह शिकार आज सुबह तक वैसे ही वहीं पड़ा था।” कह कर भालू फिर आक्रांत-सा
होकर शेर को भरपूर दृष्टि से देखने लगा ।
शेर और शेरनी गुमसुम हुए सब सुनते रहे। रीछनी उनके चेहरों को कुछ
आतंकित-सी होकर देखती रही |
“मैं तो समझा था कि जंगल के चटोरे जीव-जंतु उसे अब तक ठिकाने लगा चुके
होंगे।” शेर बड़ी गंभीर आवाज में धीरे-धीरे बोला | उसके माथे पर चिंता की सिलवटें
उभर आई थीं। वह रुका रहा, फिर बड़ी मुश्किल से आगे केवल इतना जोड़ सका,
“आश्चर्य है!”
“ताज्जुब कुछ भी नहीं है । बस थोड़ा समझ लेने की बात है।” रीछ ने शेर को बात
को गंभीरता का अहसास कराते हुए कहा ।
कुछ देर तक एक बड़ी विकल खामोशी छाई रही । फिर उसे भालू ही तोड़ते हुए बोला,
“यदि तुम ठीक समझो तो हम सब छिप कर वहां चलें जहां तुम शिकार छोड़ आए थे ।”
अभी बात चल ही रही थी कि तेंदुआ भी वहां आ पहुंचा | वह शेर को खोजते-खोजते
ही वहां आया था। सभी प्रश्नवाचक दृष्टि से उसे देखने लगे, जैसे वह कोई नई सूचना
लाया हो |
“यहां तो सभी लोग मौजूद हैं!” तेंदुआ सब पर एक सरसरी-सी नजर डालते हुए
मुस्करा कर बोला |
पानी बरसने वाला हैं / 14
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