भेडिया भेडिया | BHEDIYA BHEDIYA

KI KUCH KAVITAYEN by पुस्तक समूह - Pustak Samuhश्री सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' - Shri Suryakant Tripathi 'Nirala'

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' - Shri Suryakant Tripathi 'Nirala'

No Information available about श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' - Shri Suryakant Tripathi 'Nirala'

Add Infomation AboutShri Suryakant TripathiNirala'

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
8/23/2016 डाउनलोड मुद्रण दो घड़े सूर्यकांत त्रिपाठी निराला एक घड़ा मिट्टी का बना था, दूसरा पीतल का। दोनों नदी के किनारे रखे थे। इसी समय नदी में बाढ़ आ गई, बहाव में दोनों घड़े बहते चले। बहुत समय मिट्टी के घड़े ने अपने को पीतलवाले से काफी फासले पर रखना चाहा। पीतलवाले घड़े ने कहा, तुम डरो नहीं दोस्त, मैं तुम्हें धक्के न लगाऊँगा। मिट्टीवाले ने जवाब दिया, तुम जान-बूझकर मुझे धक्के न लगाओगे, सही है; मगर बहाव की वजह से हम दोनों जरूर टकराएँगे। अगर ऐसा हुआ तो तुम्हारे बचाने पर भी में तुम्हारे धक्कों से न बच सकूँगा और मेरे टुकड़े-टुकड़े हो जाएँगे। इसलिए अच्छा है कि हम दोनों अलग-अलग रहें। जिससे तुम्हारा नुकसान हो रहा हो, उससे अलग ही रहना अच्छा है, चाहे वह उस समय के लिए तुम्हारा दोस्त भी क्यों न हो। शीर्ष पर जाएँ 11




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now