आकाश में मौज मस्ती | AKASH MEIN MAUJ MASTI

AKASH MEIN MAUJ MASTI by चिनुआ अचेबे - CHINUA ACHEBEपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“ज़रूर मेरे प्यारे,” पत्नी ने कहा। मकड़ा जंगल चला गया। पेड़ के नीचे मूँगफली वाला बैग रखा था। मकड़े ने कुछ मूँगफली खाये और सो गया। शाम को वह पत्नी के पास बैग ले गया। वह खुश थी! उसने बैग खोला, एक मूँगफली लिया, उसे खाया, फिर एक और लिया और फिर एक और...। वे बह॒त ही अच्छे थे। अगली रात मकड़ा फिर मुखिया के खेत गया और फिर एक बैग मूँगफली चुरा लिया। जब अगली शाम हुई, वह फिर पत्नी के पास उसे लाया। यही प्रक्रिया वह बार-बार दोहराता रहा । लेकिन एक रात मुखिया के नौकर ने मूँगफली चुराते हुए चोर को देख लिया। “मैं चोर को ज़रूर पकडूँगा, लेकिन ऐसा मैं कैसे कर सकता हूँ?” नौकर ने सोचा | फिर उसे एक विचार आया। उसने दो बड़े बर्तन लिए और गट्टा पेर्चा (छनजजं च्मतबीं) के 15 » आकाश में मौज-मस्ती का समय




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