विचित्र वधू-रहस्य | VICHITRAVADHU RAHASYA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
267
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ पहला परिच्छेद ।
विभा ने सुरमा का हाथ पकड़ कर कहा--“ भाभी, श्रगर
पिताजी सुन पावे तब ?”
खुरमा ने कहा--“ तब और क्या होगा ? हम लोगों पर
उनका कुछ स्नेह भाव थाड़ा ही है । अगर कुछ है भी ते वह
न रहेगा इतना ही न | इसके लिए कोई कहाँ तक डरे।?”
विभा ने कहा--/ नहीं भाभी, मुझे बड़ा डर लगता है।
अगर किसी तरह का दराड ही दे ?!?
सुरमा ने लम्बी साँस लेकर कहा--“मुझे! पूरा विश्वास
है, संसार में जिसका काई रक्षक नहीं उसकी रक्षा भगवान
करते हैं। हे इेश्वर ! तुम अपने नाम का कलड्डित न करो।
तुम पर जो मेरा अटल विश्वास है, उसका भद्ग न करो !”
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