इमली महुआ | IMLEE MAHUA

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सुजाता पद्मानाभन - SUJATA PADMANABHAN

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आदिवासी ज़िन्दगी में हंसने का एक विशेष स्थान है. बड़े और व्यस्क दिल खोल कर हँसते हैं. वो छोटे बच्चों को कभी-कभी चिठदाते हैं और बच्चे जवाब में, बड़ों को भी चिदाते हैं. ऐसा लगता है जैसे वो बहुत खुश और संतुष्ट हों, जबकि परंपरागत मानकों के अनुसार वो आपको गरीब लगेंगे. ऊर्जा ओर हंसी इस आविवासी इलाके में आम बात थी, ऑर ढोलक की ताल यहाँ की धड्रकन थी. पर बहुत कम त्रोग ही इस माहॉंब्र के मूल्य को समझ पाए. वृडस्मोक एंड त्रीफ कप्स - ऑटोबायोग्राफिकल फुटनोट्स टू व एंश्रोपोलॉजी ऑफ व दूर्वा - मधु रामनाथन स्कूल की विशेष बातें 1) आदिवासियों के जीवनशैली का स्कूल में प्रतिबिम्बन इमली महुआ के बहुत से तौर-तरीके वही हैं जिन्हें बच्चे अपने परिवारों में अनुभव करते हैं. स्कूल इस बात से पूरी तरह सहमत है कि वहां होने वाली गतिविधियाँ आदिवासी जीवन के बिलकुल करीब हों. घर में आज़ादी स्कूत्र में स्वतंत्रता आदिवासी बच्चे, मॉ-बाप और रिश्तेदारों के दबाव में नहीं जीते हैं. वो अपना दिन कैसे बिताएं, वो कया करें इस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं होता है. पर साथ-साथ समृदाय के लोग, बच्चों पर अपनी नज़र रखते हैं जिससे गाँव के तालाब, नालों के आसपास या गाँव के किसी सुनसान इलाके में उन्हें कोई शारीरिक नुकसान न पहुंचे. इससे शायद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि ऐसी संवेदनाएं तब पैदा होती हैं जब लोगों के दिलों में आंतरिक ख़शी हो, और उन्हें बाहरी दुनिया ने बेईमानी न सिखाई हो. यहाँ के लोगों की जीवनशैली प्रकृति के अनुरूप है. यहाँ पर जीवन में दवन्द का अभाव है. इसलिए यहाँ के लोगों में स्वतंत्रता और ज़िम्मेदारी खुद-ब-खुद आ जाती है. इमली महओआ में बच्चे अपनी दिनचर्या खद तय करते हैं. उन्हें कछ भी करने के लिए मजबर नहीं किया जाता है, पठने के लिए नहीं. बच्चा अगर चाहे तो वो सकल में परे दिन मक्‍त होकर खेल सकता है. चाहे तो कोई स्थानीय खेल, या स्कूल के बाहर क्रिकेट वॉलीबॉल आदि खेल सकता है या फिर सकल के अन्दर शतरंज कैरम, नाट्स एंड क्रॉस. या फिर बच्चा, अन्य कक्षाओं के बच्चों को खेलते हए या उन्हें काम करते हए देख सकता है. बच्चे खद निर्णय लेते हैं कि दिन में वो क्या और कब पढेंगे. बच्चे ही तय करते हैं कि वो उस दिन किसी शिक्षक, बड़े बच्चे अथवा अपनी ही कक्षा के किसी बच्चे की मदद लेंगे. स्कूल में सारी पढाई बच्चे अपनी प्रेरणा से करते हैं. पठाई की दिशा भी बच्चे खुद ही तय करते हैं. ऊपर से + खद सीखने के बाद छोटे बच्चों को सिखाना: कैरम खेलते बच्चे; बड़े बच्चों के स्वेय-अध्ययन को छोटे बच्चे ध्यान से देखते ह््ए 14




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