नये ज़माने की परीकथाएँ | NAYE ZAMANE KI PARIKATHAYEN

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होल्गेर पुक्क - HOLGER PUCK

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ये हैं तुम्हारे आगे के दो पैर? और ये रहे तुम्हारे पिछले दो पैर। क्या ये दो दुनी मिलकर चार पैर नहीं बनते, ठीक है न? तो तुम्हारे पास कुल कितने हुए? चार! तुम्हारे पास चार पैर हुए, हुएन?” अपनी आँखों में चमक लिये हुए नन्‍्हा बन्नी अड़ गया, “मेरे पैर तो चार ही हें। परन्तु दो गुणे दो पैर मिलकर एक बनता है।” “तुम्हारा दिमाग फिर गया है,” खरगोश पापा ने हताश होकर कहा। “नहीं, मेरा दिमाग नहीं फिरा है।” नन्‍्हा बननी चिल्लाया। “दो गुणे दो खरगोश के पैर मिलकर एक खरगोश बनता है।” “ऐसा तुम केसे कह सकते हो?” खरगोश पापा के कान खडे हो गये। “बिल्कल सीधी-सी बात है,” नन्हे बननी ने बडे रोब से समझायौं। “ अकेले पैरों का कोई मतलब नहीं। जब मैं तुमसे कहता हूँ - भेडिया के चार पैर तो तुम्हारे कानों पर. जूँ तक नहीं रेंगती। परन्तु जब मैं कहता हूँ - एक भेडिया! - तब तुम पलक झपकते ही सर पर पाँव रखकर भाग खडे होते हो! ” “खुबरदार, अपनी जुबान को लगाम दो! मत भूलो कि तुम अपने पिता से बात कर . रहे हो,” पापा खरगोश को गुस्सा आ गया था। “दो दूनी यकीनन एक होता है! यह बिल्कुल दिन के उजाले की तरह साफ है!” पापा खरगोश कुछ अपने में ही बुदबुदाते और वहाँ से फूदकंते हुए हट गये। उन्हें कहीं भी चेन नहीं मिल रहो. था। उनकी खाने-पीने की इच्छा मर गयी थी। वह बस सोच रहे थे ओर सोचे जा रहे थे। ओर जितना ही अधिक वह सोचते उतना ही अधिक वह इस बात के कायल होते जा रहे थे कि उनके बेटे के पास अपने कन्धों के ऊपर एक तेज दिमाग था। एक तेज दिमाग! दो पहिया दूना हो तो बनता है - बस चार पहिया। लेकिन जब तुम कहते-हो - एक कार - तो किस्सा बिल्कुल दूसरा ही होता क्‍ नये जमाने की परीकथाएँ




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