क्यों ? | KYOON ?

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कमला बकाया - KAMALA BAKAYA

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हम ही तो महल उठाते हैं, हम ही तो अन्न उगाते हैं। सब काम हम ही तो करते हैं फिर उलटे भूखों मरते हैं। 2686. बूढ़ा तो हूं, बेजान नहीं, 4० -न्‍क क्या मन में कुछ अरमान नहीं? :अ् मैंने भी कुनबा पाला था, बरसों तक काम सँभाला था। जब तक था ज़ोर जवानी का, # मुँह देखा रोटी-पानी का। यह टॉग जो अपनी टूट गई रोटी भी हम से रूठ गईं। _ कुछ काम नहीं कर पाता हूँ यूं दर-दर ठोकर खाता हँ। जोडों में होता दर्द बडा, गिर जाता हूँ में खड़ा-खड़ा। न बीबी है, न बच्चा है, * इक सूना-सा घर कच्चा है। में भी सोचा करता हूँ यों आहें गरीब है भरता क्‍यों?




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