तेरे रस्ते में गड्ढा | TERE RASTE MEIN GADHDHA

TERE RASTE MEIN GADHDHA by अज्ञात - Unknownपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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_-ह आयी। उसका कूबड़ कापने लगा। 1 “४. कुम्हार और गुलजान ने प्यार-भरी आवाज में कहा :“अजनबी! हमें ' 7 अपना नाम बता दो ताकि हमें मालम हो जाय कि हम किसके लिए | दुआ करें।” 5-8 सृदखोर तुतलाया :“हां, मुझे अपना नाम बता दे, ताकि मुझे मालूम ;॥ हो जाय कि किसके लिए बददुआ करूं।” कु ४, ॥ खोजा नसरुद्दीन' का चेहरा चमक रहा था। उसने साफ और ऊची ॥8/(५ ॥ आवाज में कहा :“बगदाद ओर तेहरान में, इस्ताम्बूल और बुखारा में, £-ह ५ ॥ हर जगह में एक ही नाम से जाना जाता हूं और वह नाम है-खोजा हमे 201 नसरुद्दीन।” कु पक 1. सूदखोर डर के मारे सफेद पड़ गया और पीछे को हटता हुआ #* ५ //॥ बोला: “खोजा नसरुद्दीन ?” और अपने कूली को आगे खदेड़ता हुआ #. दर, क् व पक ५ बड च् ' पा ७६ ॥ वह डर के मारे भागने लगा। े हनन “8. जहा तक और लोगों का ताल्‍लुक था, वे उसका इस्तकबाल करते _ गो ही ४ हुए ः नसरुद्दीन !” नकाब के नीचे ;+ कर बकषैध्रोजा नसरुद्दीन | न गुलजान की आखें चमक उठी। बूढ़ा कुम्हार अभी तक अपने होश 4७ ९ दुरस्त नहीं कर पाया था। वह हवा में हाथ हिलाता रहा और कुछ / मिनभिनाता रहा। बंध |) के “> क्रमशः - है] न्‍ | ह | हद 2 अल िक ज गे इन्कलेंक, नई चिल्ली-110७19, सृरणाघ्र | ###75 हे ग्योति लेजर टाइफोटिंग ४ 6 |] | डी] नल 9+ «मनन _मन नमन न नमन रपर्ननन>तत तक रर__9>++++-+++5 23502:20-1 ' पर ु है




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