नजानू की कहानियाँ | NAJANU KI KAHANIYAN

NAJANU  KI KAHANIYAN by निकोलाई नोसोव - NIKOLAI NOSOVपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“ चिपटियों कों निकालना पडेगा , ' डाक्टर टिकियावाला ने सर हिलाते हुए कहा। “ उससे दर्द होगा ? ” डरकर नजानू ने पूछा। “नहीं, थोड़ा-सा भी नहीं। लाओ, मैं अभी सबसे बड़ी चिपटी निकालता हूं। “ हाय-हाय ! / नजानू चिल्लाया। “क्या बात है? भला दर्द हुआ कहीं ? ” ताज्जुब से डाक्टर टिकियावाला ने पूछा। - “और क्या, बड़ा दर्द हुआ! * “ज्रैर, धीरज से काम लो, सब्र करो। तुमको सिर्फ़ लगता है कि दर्द हुआ। “सिर्फ लगता ही नहीं है! आई-आई-आई ! “अरे, तुम तो ऐसे चिल्ला रहे हो जैसे मैं तुम्हें चीरा लगा रहा हूं' आखिर मैं तुम्हें चीरा तो नहीं लगा रहा। “दर्द हो रहा है! खुद ही कहा था कि दर्द नहीं होगा, मगर दर्द हो रहा है। “अच्छा , शांत रहो, शांत रहो-बस अब एक चिपटी रह गयी है। “ हाय-हाय , मत निकालिये ! इससे तो अच्छा है कि चिपटी अंदर ही रहे। “यह ठीक नहीं है। फोड़ा बन जायेगा। “ हाय-हाय-हाय ! “लो, बस, खेल खत्म। अब सिर्फ़ आयोडीन लगाना है। “उससे दर्द होगा “ आयोडीन से नहीं , उससे दर्द नहीं होता है। चुपचाप लेटे रहो। आ-आनआ बस, बस ! गाडी चलाने में बड़ा मज़ा आता है, मगर दर्द सहना अच्छा नहीं लगता । हाय, बड़ी जलन हो रही है! “ थोड़ी जलन होगी , फिर ठीक हो जायेगा। अभी मैं तुम्हें थरमामीटर लगाऊंगा। “ओह , थरमामीटर मत लगाइये , रहने दीजिये। क्‍यों? “ दर्द होगा।' - “ धरमामीटर लगाने से बिल्कुल दर्द नहीं होता। “ आप हमेशा कहते हैं दर्द नहीं होता और बाद में दर्द होता है। “ कैसे बेवकफ़ हो, क्या सचमच मैंने तुम्हें थरमामीटर कभी नहीं लगाया ? “कभी नहीं। “ ठीक है, तो अब देख लेना कि उसके लगाने से दर्द नहीं होता , डाक्टर टिकिया- वाला ने कहा और थरमामीटर लेने चले गये। द नजान बिस्तर पर से कद पड़ा और खुली हुई खिड़की में से फांदकर अपने दोस्त




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