हमने फोटोसिन्थेसिस के बारे में कैसे जाना ? | HOW WE FOUND ABOUT PHOTOSYNTHESIS

Book Image : हमने फोटोसिन्थेसिस के बारे में कैसे जाना ? - HOW WE FOUND ABOUT PHOTOSYNTHESIS

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

आइज़क एसिमोव -Isaac Asimov

No Information available about आइज़क एसिमोव -Isaac Asimov

Add Infomation AboutIsaac Asimov

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
लोहे के अणु और कुछ अणुओं के छल्लों को रिंग के रिम के साथ जोड़कर उसने 'हीम' नाम के यौगिक का ढांचा खोजा। 'हीम' के ही कारण रक्त लाल होता है। यह उसने 1930 में किया और उसी वर्ष इस शोध के लिए उसे रासायनशास्त्र का नोबेल पुरुस्कार मिला। क्लोरोफिल का ढांचा 'हीम' से मिलता-जुलता निकला। क्लोरोफिल की *प्रोफिरिन रिंग! के केंद्र में लोहे की बजाए एक मैग्नीशियम का अणु था। क्लोरोफिल के रिम के साथ जुड़ी अणुओं की चेन्स 'हीम' की तुलना में अलग और अधिक जटिल थीं। पर फिशर ने उनके बारे में पूरी जानकारी हासिल की। इसका अंतिम प्रमाण मिला 1960 में जब एक अमरीकी वैज्ञानिक राबर्ट बर्न्स वुडवर्ड (1917-1979) ने सारे अणुओं को फिशर के बताए अनुसार सही नियोजन में सजाया। बुडवर्ड को पदार्थ मिला वो हरे पौधों से मिले क्लोरोफिल जैसा ही काम करता था। इसका मतलब फिशर का सुझाया ढांचा एकदम ठीक था। इस कार्य और अन्य अनुसंधान के लिए बुडवर्ड को 1965 में रासायनशास्त्र के लिए नोबेल पुरुस्कार मिला। आपको शायद लगे कि हरे पौधों से क्लोरोफिल प्राप्त करने के बाद वैज्ञानिक उससे फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया शुरू कर सकते थे। कल्पना करें एक प्रयोग की - क्लोरोफिल को पानी में घोलकर उसमें कार्बन-डाईऑक्साइड के बुलबुले छोड़ें। क्लोरोफिल की मौजूदगी में कार्बन-डाईऑक्साइड और पानी को आपस में मिलकर ग्लूकोज और स्टार्च (मांड) बनाना चाहिए। शायद बनाना चाहिए था, परन्तु असलियत में बनता नहीं है। क्लोरोफिल पौधे के अंदर काम करता है पौधे के बाहर नहीं। पर ऐसा क्‍यों होता है? पौधे के अंदर क्लोरोफिल एक जटिल प्रक्रिया का अंग होता है। क्लोरोफिल का पूरा तंत्र काम करता है, क्लोरोफिल अकेले काम नहीं करता है। सब प्राणी और पौधे कोशिकाओं के बने होते हैं। कोशिका 1-इंच का लगभग 1/750 वां हिस्सा होती है। कुछ बहुत छोटे प्राणी और पौधे केवल एक कोशिका के बने होते हैं। वे इतने छोटे होते हैं कि उन्हें केवल माईक्रोस्कोप में से ही देखा जा सकता है। बड़े प्राणी और पौधे भी छोटी कोशिकाओं के बने होते हें परन्तु उनमें बहुत अधिक संख्या में कोशिकाएं होती हैं। सामान्य मनुष्य के शरीर में करीब 50-ट्रिलियन कोशिकाएं होती हैं। कोशिका छोटी भले ही हो परन्तु वो पदार्थ का महज एक टुकड़ा नहीं है। उसमें छोटे-छोटे औरगैनेलाज होते हैं। हरेक कोशिका के अंदर एक छोटा 16




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now