हमें कोयले के बारे में कैसे पता चला ? | HOW DID WE KNOW ABOUT COAL

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आइज़क एसिमोव -Isaac Asimov

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1725 में थोमस न्यूकोमेन नाम के अन्य अंग्रेज (जो थोमस सावेरी का सहयोगी था) ने पानी को खदान से निकालने के लिये एक प्रकार का भाप इंजन बनाया, जिसमे भाप को कम-दाब पर उपयोग किया जा सकता था| इसका काम अच्छा और सुरक्षित भी था| 1778 तक, कोर्नवॉल राज्य की खदानों में 70 से भी अधिक न्यूकोमेन भाष इंजन कार्यरत थे| किसी भी भाप इंजन को कार्य करने के लिये शुरू में भाप की आवश्यकता होती थी| भाष को प्राप्त करने के लिये पानी को उबालना होता था| और पानी को उबालने के लिये ईंधन को जलाना होता था| कार्य करने के लिये भाप चाहिए होती और उसे उत्पन्न करने में बहुत ईंधन लगता था| ईंधन से उत्पन्न ऊष्मा का 200 में से केवल 1 भाग ही पंप करने का उपयोगी कार्य करता था| ऊष्मा का शेष भाग इंजन के लोहे और उसके आसपास की हवा को गर्म करता था| यह ईंधन का भयानक दुरूपयोग था| 1765 में जेम्स वाट नाम के स्कॉटिश इंजिनियर ने नायाब इंजन बनाया, जिसने न्यूकोमेन भाप इंजन की अपेक्षा ईंधन का 6 गुणा कम उपयोग किया| अतः, यह इंजन उससे 6 गुणा अधिक प्रभावशाली था| वाट ने अपने डिजाईन को निरंतर सुधारना ज़ारी रखा| अब वाट के भाष इंजन ने पूर्ण रूप से न्यूकोमेन भाप इंजन का स्थान ले लिया| 1800 तक इंग्लैंड में वाट के लगभग 500 भाप इंजन कार्यरत थे। इसके बाद भी, वाट ने अनेक तरीके निकाले जिनसे भाप इंजन का उपयोग एक पिस्टन को खींचने एवं धक्का देने में किया जा सके, तथा एक जिससे पहिया घूम सके| अब भाष इंजन का उपयोग केवल पम्पों तक ही सीमित नहीं था| भाप इंजन द्वारा प्रत्येक मशीन को मानव की अपेक्षा तीव्र एवं अधिक समय तक चलाया जा सकता था| विशेषतः, ऐसे भाप इंजन बनाये गए जो मशीनों को चला सके, / (१७३६-१८१९ ) तथा मशीनों द्वारा धागों को कात सकें, तथा बुन सकें| इससे सूती कपड़ा अत्यंत कम मूल्य पर बन सका| इसे ही हम औदयोगिक-क्रांति का प्रारंभ कहते हैं| तब तक इंग्लैंड और स्कॉटलैंड आपस में जुड़े और उनसे मिलकर ग्रेट- ब्रिटेन बना| अब ग्रेट-ब्रिटेन कारखानों का राष्ट्र बन गया और सम्पूर्ण विश्व के लिये सूती कपड़ों का उत्पादन करने लगा| कपड़ों से कमाए धन से वो कपास जैसे पदार्थों को खरीदता था| क्‍योंकि ग्रेट ब्रिटेन तैयार माल को महंगे मूल्य पर बेंचता था, उससे वो शीघ्र ही विश्व का कं सबसे अमीर एवं शक्तिशाली राष्ट्र बन गया। वाट का भाप इंजन अभी भी ईंधन से प्राप्त ऊर्जा का लगभग 90 पं | प्रतिशत भाग व्यर्थ करता था| यदि इसमें लकड़ी का उपयोग किया जाता तो ग्रेट-ब्रिटेन के वन शीघ्रता से समाप्त हो जाते तथा वहां आई औद्योगिक क्रांति धीरे-धीरे समाप्त हो जाती| तब वहां पर भाष इंजन में पत्थर के कोयले का उपयोग होने लगा| ग्रेट-ब्रिटेन के पास पत्थर के कोयले के विशाल भंडार थे| पत्थर के कोयले के कारण ही ग्रेट-ब्रिटेन में औदयोगिक क्रांति संभव हो सकी| ४८- कूँ 15... ली 1 2०. मी ह &, राबर्ट फ्ल्टन ( १७८५-१८१५० ) भाष इंजन केवल खदानों व कारखानों में ही उपयोग नहीं थे, उनका जहाजों पर पतवार के पहिये को घुमाने में




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