दक्षिण झील का चाँद | DAKSHIN JHEEL KA CHANDBGVS

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लू फूताओ - LU PHUTAO

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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16 दक्षिण झील का चांद अंधेरे की चादर हटाकर धीरे-धीरे चांद ऊपर आया और आलोकित आकाश की छाया झील में दिखाई पड़ी। वसंत की सुनसान रात में चांद और सड॒क की बत्तियों की रोशनी संयोग से मिले युवक और युवती को बहला रही थी। य्वान श्या अपनी साइकिल के लिए चिंतित थी, पर थोड़ी डरी हुई भी थी। वह युवक की भलमनसाहत से दबी थी और धन्यवाद व्यक्त करने के लिए उचित शब्दों को ढूंढ़ने में लगी थी। अचानक उसने सोचा- “उसे अपने किए की सजा स्वयं भुगतनी चाहिए! अपनी समस्या से वह दूसरों को क्‍यों परेशान करे? पर यदि वह छोड़कर चला गया तो वह क्या करेगी? वह साइकिल ढकेलती हुई या कंधे पर लादकर घर जाएगी?' वह दुविधा में पड़ी थी। फिर से सोचने पर उसने यही फैसला किया कि वह उस युवक पर भरोसा करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकती। वह युवक साइकिल ठीक करने में जी-जान से लगा था। अभी तक तो वह उसके नाम से भी अपरिचित थी। आखिरकार खो थिंग ने कहा, “देखो, ऐसा करते हें! यदि तुम्हें मुझ पर विश्वास हो तो तुम मेरी साइकिल से घर चली जाओ, तुम्हारे घरवाले परेशान हो रहे होंगे। में तुम्हागी साइकिल ठीक कर दूंगा, पर इसमें समय लगेगा। कल हम लोग अपनी साइकिल बदल लेंगे।” उसने सोच लिया था कि लड़की की साइकिल यदि यहां ठीक नहीं हुई तो वह इसे लेकर घर चला जाएगा। य्वान श्या ने पूरी गंभीरता से




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