गुनाहों का देवता | GUNAHON KA DEVTA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
धर्मवीर भारती - Dharmvir Bharati
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)823/2016
जी नहीं! पम्मी ने उन्हीं कागजों पर नजर गड़ाते हुए कहा, मैंने कभी टाइपिंग और शार्टहैंड सीखी थी, और तब
मैं सीनियर केम्ब्रिज पास करके यूनिवर्सिटी गयी थी। यूनिवर्सिटी मुझे छोडनी पड़ी क्योंकि मैंने अपनी शादी कर
ली।
अच्छा, आपके पति कहाँ हैं?
रावलपिंडी में, आर्मी में।
लेकिन फिर आप डिक्रूज क्यों लिखती हैं, और फिर मिस?
क्योंकि हमलोग अलग हो गये हैं। और स्पीच के कागज को फिर तह करती हुई बोली-
मिस्टर कपूर, आप अविवाहित हैं?
जी हाँ?
और विवाह करने का इरादा तो नहीं रखते?
| 'नहीं | ॥॥॥
बहुत अच्छे। तब तो हम लोगों में निभ जाएगी। मैं शादी से बहुत नफरत करती हूँ। शादी अपने को दिया
जानेवाला सबसे बड़ा धोखा है। देखिए, ये मेरे भाई हैं न, कैसे पीले और बीमार-से हैं। ये पहले बड़े तन्दुरुस्त और
टेनिस में प्रान्त के अच्छे खिलाडिय़ों में से थे। एक बिशप की दुबली-पतली भावुक लड़की से इन्होंने शादी कर ली,
और उसे बेहद प्यार करते थे। सुबह-शाम, दोपहर, रात कभी उसे अलग नहीं होने देते थे। हनीमून के लिए उसे
लेकर सीलोन गये थे। वह लड़की बहुत कलाप्रिय थी। बहुत अच्छा नाचती थी, बहुत अच्छा गाती थी और खुद
गीत लिखती थी। यह गुलाब का बाग उसी ने बनवाया था और इन्हीं के बीच में दोनों बैठकर घंटों गुजार देते थे।
कुछ दिनों बाद दोनों में झगड़ा हुआ। क्लब में बॉल डान्न्स था और उस दिन वह लड़की बहुत अच्छी लग रही थी।
बहुत अच्छी। डान्स के वक्त इनका ध्यान डान्न्स की तरफ कम था, अपनी पत्नी की तरफ ज्यादा। इन्होंने आवेश
में उसकी अँगुलियाँ जोर से दबा दीं। वह चीख पड़ी और सभी इन लोगों की ओर देखकर हँस पड़े।
वह घर आयी और बहुत बिगड़ी, बोली, 'आप नाच रहे थे या टेनिस का मैच खेल रहे थे, मेरा हाथ था या टेनिस का
रैकट?' इस बात पर बर्टी भी बिगड़ गया, और उस दिन से जो इन लोगों में खटकी तो फिर कभी न बनी। धीरे-धीरे
वह लड़की एक सार्जेंट को प्यार करने लगी। बर्टी को इतना सदमा हुआ कि वह बीमार पड़ गया। लेकिन बर्टी ने
तलाक नहीं दिया, उस लड़की से कुछ कहा भी नहीं, और उस लड़की ने सार्जेंट से प्यार जारी रखा लेकिन बीमारी में
बर्टी की बहुत सेवा की। बर्टी अच्छा हो गया। उसके बाद उसको एक बच्ची हुई और उसी में वह मर गयी। हालाँकि
हम लोग सब जानते हैं कि वह बच्ची उस सार्जेट की थी लेकिन बर्टी को यकीन नहीं होता कि वह सार्जेट को प्यार
करती थी। वह कहता है, 'यह दूसरे को प्यार करती होती तो मेरी इतनी सेवा कैसे कर सकती थी भला!' उस बच्ची
का नाम बर्टी ने रोज रखा। और उसे लेकर दिनभर उन्हीं गुलाब के पेड़ों के बीच में बैठा करता था जैसे अपनी पत्नी
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