ढांडा ढाई का | DHANDA DHAI KA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
475 KB
कुल पष्ठ :
5
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
ददेवीशंकर प्रभाकर - DEVISHANKAR PRABHAKAR
No Information available about ददेवीशंकर प्रभाकर - DEVISHANKAR PRABHAKAR
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लड़कों ने हकीमजी को बुलवाया । हकीम
कह रहा था, “हम सच्चे गुरु केप दे
चेल हैं । हमें पता है ताऊ, तुम्हें हां-कहां
मार पड़ी है। बड़ा दुष्ट था कोई। बूढ़े शरीर
रखकर देखा | चोटों को दबाया तो बूढ़ा दर्द
के मारे तड़प उठा। कुछ देर विचार-मग्न
होकर हकीम ने कहा, “चार तरह की
जड़ी-बूटियां चाहिए । एक बूटी पूर्व मं, दूसरी
पश्चिम में, तीसरी दक्षिण में ओर चोथी उत्तर
के जंगल में मिलेगी ।
लड़के बोले, ' “हम अभी लाए देते हैं।' '
चारों लड़के चारों दिशाओं में दोड़ पड़े ।
अब रह गए घर में बूढ़ा ठग ओर हकीम |
हकीम ने दरवाजे पर सांकल चढ़ाई । हकीम
का वेश उतार दिया। बूढ़ा देखकर चीख
पड़ा । वही किसान खड़ा था सामने । किसान
ने मुस्कराते हुए कहा, ''चल बूढ़े खूँटे पर ।'
किसान रस्सा बांधकर फिर बूढ़े की पिटाई...
करने लगा। साथ-साथ पूछ भी रहा था
''क्यों बूढ़े, मेरा ढांडा ढाई का?''
बूढ़े ठग ने बिलबिला उठा। दो सो रुपये
देकर जान छुड़ाई । किसान दो सो रुपये लेकर
नौ दो ग्यारह हो गया।
लड़के आए तो बूढ़ा फिर खूंटे से बंधा
था । अपनी व्यथा फिर सुनाई बूढ़े ने बेटों को ।
दांत पीसकर रह गए चारों बेटे । सोच रहे थे--
अगर कहीं मिल जाए तो खून पी जाएं
उसका |
उधर किसान फिर पहुंच गया ढाणी के
पास के जंगल में । एक हड्टा-कट्टा चरबाहे
का लड़का पशु चरा रहा था । किसान ने उसे
कहा, भई पाली! एक काम कर दे
मेरा । वह ढाणी का बूढ़ा ठग है ना, उसके
द्वार के सामने जाकर बूढ़े को यह कहकर
भाग आ, क्यों बूढ़े, मेरा ढांडा ढाई का? ''
किसान ने यह भी समझा दिया कि लड़के
पीछा करेंगे। हर तरह से पकड़ने का प्रयत्न
... करेंगे, उनके हाथ मत लगना। अब चरवाहे
User Reviews
No Reviews | Add Yours...