चार्ल्स डार्विन की आत्म कथा | CHARLES DARWIN KEE ATMA KATHA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
82
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
चार्ल्स डार्विन - CHARLES DARWIN
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सूरज प्रकाश -SURAJ PRAKASH
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)8/2/2016
किया, क्योंकि पहले किसी मौके पर मैंने टेनरिफेल की शोभा का जिक्र किया था, और हमारी मंडली के कुछ लोगों
ने यह भी कहा था कि वे वहाँ जाने का प्रयास करेंगे, लेकिन मेरा विचार है कि वे सब अधूरे मन से कह रहे थे।
लेकिन मैं तो भीतर से तैयार था और लन्दन के एक मर्चेन्ट से मिलकर जलयान के बारे में पूछताछ भी कर चुका
था, लेकिन मेरी यह योजना बीगेन पर समुद्री यात्रा के आगे धरी रह गयी।
गर्मी की छुट्टियों का मेरा सारा वक्त गुबरैले पकड़ने, कुछ पढ़ाई करने और छोटी मोटी यात्राओं में निकल जाता
था। पतझड़ के दौरान मेरा सारा समय निशानेबाजी में जाता था। मैं इसमें से ज्यादातर समय वुडहाउस और
मायेर में गुज़ारता था। कई बार मैं आयटन के रईस के साथ भी रहता था। कुल मिलाकर कैम्ब्रिज में बिताए गए
तीनों बरस मेरे जीवन के सर्वाधिक खुशी भरे रहे। मेरी सेहत बहुत बढ़िया रही और कुल मिलाकर मैं कभी दुखी
नहीं रहा।
मैं 1831 की शुरुआत में क्रिसमस पर कैमिब्रज आया था, इसलिए अंतिम परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी मुझे दो
सत्रों तक रोका गया; तब हेन्सलो ने ही मुझे समझा-बुझा कर भूविज्ञान का अध्ययन शुरू करने के लिए कहा।
इसलिए श्रापशायर लौटने के बाद मैं भूखण्डों की व्यवस्था का अध्ययन करने लगा और श्रूजबेरी के आसपास के
इलाकों के रंगदार नक्शे भी तैयार किए। प्राचीन चट्टानों का भूवैज्ञानिक अन्वेषण करने के लिए अगस्त की
शुरुआत में प्रोफेसर सेडविक नार्थवेल्स की यात्रा शुरू करने वाले थे; हैन्सलो ने उनसे कहा कि वे मुझे भी साथ
चलने की इजाज़त दें। सब तैयारी करके वे मेरे पिता के घर आकर रुके।
शाम को उनके साथ थोड़ी बातचीत ने मेरे दिमाग पर गहरा असर डाला। श्रूजबेरी के समीप ही एक दलदली गड्ढे
की जाँच करते समय एक मज़दूर ने मुझे बताया कि उसे गड्ढे में से एक बड़ा पुराना-सा उष्णकटिबंधीय शंख
मिल्रा है। ऐसे शंख झोपड़ियों की चिमनियों में भी मिल जाते हैं, लेकिन उस मजदूर ने शंख बेचने से मना कर
दिया। मैं इस बात से पूरी तरह सहमत था कि उसे यह शंख वास्तव में गड़ढे में से ही मिला था। मैंने सेडविक को
यह बात बताई तो (संदेह नहीं सच में) वे एकदम बोले कि किसी ने इसे गड़ढे में फेक दिया होगा; लेकिन वे यह भी
बोले कि यदि यह वहीं पड़ा रहता तो भूविज्ञान के लिए दुर्भाग्य की बात होती, क्योंकि यह हमें मिडलैन्ड काउन्टीज
में धरातलीय मिट्टी के जमाव के बारे में काफी बातों की जानकारी देगा। दलदल की ये परतें वस्तुत: हिमनदीय
युग से सम्बन्धित हैं, और बाद के वर्षों में ये मुझे आर्कटिक के टूटे हुए शंखों में भी मिले। लेकिन उस समय मैं
एकदम हैरान रह गया कि सेडविक इस अद्भुत तथ्य पर खुश क्यों नहीं हुए कि उष्णकटिबंधीय इलाके का शंख
यहाँ इंग्लैन्ड के बीचों बीच इलाके में ज़मीन के भीतर कहाँ से आया होगा। यद्यपि मैंने बहुत-सी वैज्ञानिक
पुस्तकों का अध्ययन किया था, लेकिन इससे पहले मुझे इतनी गहराई से यह अहसास नहीं हुआथा कि तथ्यों का
समूहीकरण करने में ही वैज्ञानिकता है, क्योंकि इसके बाद ही कोई सामान्य नियम या निष्कर्ष निकाला जा
सकता है।
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