मीराबाई | MIRABAI BGVS
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
594 KB
कुल पष्ठ :
10
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
कमला भसीन - KAMALA BHASIN
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जो सामाजिक बाँधों में बँधकर न रह सकी | औरतों पर
लगाये गये बंधनों में जीने को तैयार न हुई मीरा और
बह निकली अपने मन की करने को। मीरा ने अपना
सब कुछ दांव पर लगा दिया। उस 13-14 बरस की
मीरा का मन ही आजाद था, उसके अंदर से फूट रहे थे
झरने आजादी के। पितृसत्ता के खिलाफ, औरतों पर
लगाये गये बंधनों के खिलाफ अंदर से निकलने वाला
लावा ही नारीवाद है। यह कोई ऊपर से थोपा पहनावा
नहीं है।
जैसा राजस्थान में होता था और आज भी होता है-
मीरा की छोटी सी उम्र में शादी तय कर दी गई। अच्छे
घर की लड़कियों को भी पढ़ाने लिखाने, कोई हुनर
सिखाने की बात थी कहां तब । राणा परिवार के राजकुमार
से मीरा की शादी तय कर दी गई, लेकिन मीरा ने तो
कृष्ण को अपना पति पहले से ही मान लिया था। वह
कोई और शादी नहीं करना चाहती थी। कहते हैं- मीरा
ने बहुत मना किया शादी करने से, पर कहाँ मानने वाला
था परिवार एक बच्ची की ऐसी अनसुनी मांग | शादी हुई
और 13-14 साल की मीरा अपनी हम उम्र दासी और
सहेली ललिता और अपने जीवन साथी कृष्ण की मूर्ति
लेकर ससुराल पहुँची | कैसी छटपटाती होंगी ये नन््हीं-
रथ
सी जानें जिनकी जबरदस्ती शादी कर दी जाती है,
जिन्हें बिल्कुल अनजाने घरों में हमेशा के लिये भेज
दिया जाता है, अंदाजा लगाना मुश्किल है।
खैर-हर असहाय, अस्वायत्त लड़की की तरह मीरा
ससुराल पहुँची । वहाँ सासूजी ने देवी की पूजा करने को
कहा तो आज़ाद मन की मीरा ने कहा वह कृष्ण की
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