दिमाग कैसे काम करता है ? | DIMAAG KAISE KAAM KARTA HAI

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ट्यूमर, सिर में चोट, मानसिक सदमा या इन्सेफेलाइटिस-मेनिंजाइटिस से भी याद्वश्त खो जाती है। बहुत अधिक ८) ॥/ शराबखोरी और अनिद्रा से भी याद्याश्त 2 है प्रभावित होती है। याद्याश्त खोने को डॉक्टर लोग 'एमनेसिया' कहते हैं। यह दो तरह की होती है। एक में बीमारी के पहले की घटनाओं की याद का सफाया हो जाता है। दूसरे में, रोग के बाद आदमी कुछ भी याद रखने लायक नहीं रह जाता। याद्राश्त बढ़ाने के लिए आज तमाम किस्म की गोलियाँ-कैप्सूल भी चलन में हैं। पर इनका प्रभाव चिकित्सा-विज्ञान द्वारा प्रमाणित नहीं हो सका है। मनोवैज्ञानिकों 'का कहना है कि याद्याश्त बढाने का सबसे सटीक तरीका है इसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना। याद्याश्त की धार पर सान चढाते रहने के लिए “मेमोरी गेम्स' या शतरंज खेलना कारगर उपाय हैं। डायरी लिखने ओर जब-तब उसके पन्‍ने पलटते रहने से याद्ाश्त ताजा होती रहती है। जरूरी आँकडों-जानकारियों को याद रखने के लिए दिमाग को बीच-बीच में आराम देना बहुत जरूरी होता है। आराम के क्षणों में ही दिमाग में याद्यश्त को रासायनिक रूप से दर्ज करने की क्रिया सम्पन्न होती है। कुछ ताजा खोजों से पता चला है कि यदि कुछ घण्टे मानसिक काम करने के बाद सीढ़ियाँ चढ़ी जायें, टहला जाये या कोई दूसरा शारीरिक काम किया जाये तो याद्दाश्त तेजु होती है। इसका कारण यह है कि दिमाग कैसे काम करता है




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