ज़िन्दगी से प्यार | ZINDAGI SE PYAR
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
57
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
जैक लन्दन - JACK LONDON
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)था। उसे इस बात का जरा भी ध्यान नहीं था कि वह किधर जा रहा था। बस वह रास्ता
घाटियों की तली से गुजरना चाहिए था, ताकि बह भीगी बर्फ में टटोलकर मस्केग
बेरियाँ और गाँठों वाली घास खींचकर निकाल सके। लेकिन ये सब एकदम बेस्वाद थे
और उनसे तसल्ली नहीं मिलती थी। उसे एक सेवार मिली जिसका स्वाद खट्टा-सा था
और बह जितनी भी दूँढ़ पाया, सब खा गया। हालाँकि यह ज़्यादा नहीं थी क्योंकि
उसकी लता कई इंच बर्फ के नीचे छुप गयी थी।
उस रात उसे आग और गरम पानी के बिना ही काम चलाना पड़ा, और वह भीगे
कम्बलों में लिपटा भूख के सपने देखता हुआ सो गया। बर्फ ठण्डी बारिश में बदल
गयी। वह कई बार जागा और अपने चेहरे पर इसे महसूस किया। दिन निकला - एक
और धूसर, बिना सूरज वाला दिन। बारिश बन्द हो गयी थी। उसकी भूख अब पैनी नहीं
रह गयी थी। जहाँ तक खाने की लालसा का सवाल था, उसकी इन्द्रियाँ मर चुकी थीं।
उसे अपने पेट में एक धीमा, भारी-सा दर्द महसूस हो रहा था, लेकिन इससे ज्यादा
परेशानी नहीं हो रही थी। अब वह पहले से ज्यादा ताकिक ढंग से सोच पा रहा था और
एक बार फिर उसका ध्यान नन््ही छड़ियों की भूमि और डीज नदी के पास के गुप्त
भ्रण्डार पर था।
उसने एक कम्बल के बचे हुए हिस्से से और पट्टियाँ फाड़ी और अपने लहूलुहान
पैरों पर लपेट लीं। उसने घायल टखने को भी फिर से कसा और सफर के लिए तैयार
हो गया। पिटवू के पास आकर वह देर तक बारहसिंगे के चमड़े की मोटी थैली को
देखता रहा लेकिन आखिरकार उसे साथ ले लिया।
बारिश से बर्फ पिघल गयी थी और स्लिर्फ पहाड़ियों की चोटियों पर सफेदी दिख
रही थी। सूरज निकल आया और उसे दिशाओं का पता चल गया पर बह यह भी जान
गया कि वह भटक गया है। शायद, पिछले दो दिनों में वह भटकते हुए कुछ ज़्यादा ही
बायीं ओर चला गया था। अब वह नाक की सीध में दायीं ओर चल पड़ा ताकि इस
...। ए़किचतो तेघ्यप......
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