जुएं कपड़े और आधुनिक मानव | JUYEN, KAPDE AUR ADHUNIK MANAV - BGVS

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टी० वी० वेंकटेश्वारण - T. V. VENKTESHWARAN

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वस्त्रों की सामग्री समय के साथ नष्ट हो जाती है जैसे कि कपडा, जानवर की खाल चमड़ा इत्यादि। हर जीव पदार्थ की तरह प्राज्मपणतिहासिक चमड़े व खालें भी बहुत ही अलग व खास तरीके के वातावरण में ही सुरक्षित रखी जा सकती हैं। यह हड्डी, पत्थर, धातु के समान ज्यादा दिन तक सुरक्षित नहीं रह पाते। इसलिए प्राज्णेतिहासिक खोज बस्त्रों के पूरे इतिहास को समझने के लिए काफी नहीं है। हालांकि वस्तु व मिट्टी के निशानों जैसे सीधे प्रमाण बहुत कम हें लेकिन पुरातत्व खोजों के दौरान कई अप्रत्यक्ष प्रमाण भी पाए गए हैं। उदाहरण के तौर पर पुरातत्व वैज्ञानिकों ने 32000 वर्ष पुरानी हाथीदांत व हड्डियों की सुइयों को 1988 में कोस्टेंकी , रूस में खोज निकाला। इससे यह साबित होता है कि वस्त्र और उनकी सिलाई आधुनिक मानव को 40000 वर्षों से ज्ञात है। पर क्या यह कपड़ों की पूरी कहानी हे? सिर व शरीर की जुएं सिर की जुएं व कपड़ों में रहने वाली जुएं दो अलग-अलग प्रजातियां हैं, लेकिन ये एक-दूसरे से संबंधित जरूर हैं। जुएं मानव शरीर से दूर रह कर कुछ घंटे या ज्यादा से ज्यादा कुछ दिन ही जीवित रह सकती हैं। चूंकि जुएं मानव शरीर के कुछ खास हिस्सों में ही रहती हैं इसलिए जुओं के क्रमविकास के इतिहास द्वारा मानव के क्रमविकास के विषय में भी जानकारी प्राप्त हो सकती हे। सिर की जुएं व कपडों की जुओं के बीच विभिन्नता शायद तब आई जब मनुष्य ने वस्त्रों का प्रयोग नियमित रूप से करना शुरू कर दिया। यह मानव के विकास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। हालांकि इसका कोई सीधा पुरातात्तविक प्रमाण नहीं है। इसलिए स्टोनकिंग व 16




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