पुरुस्कार | PURUSKAR

PURUSKAR by जयशंकर प्रसाद - jayshankar prasadपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मधूलिका आज बहुत खुश थी। राजकुमार अरुण के पास बैठकर वह अपने सभी दुखों को भूल-सी गयी थी । सपनों की दुनिया में खोई थी मधूलिका जब अरुण बोला, “नये राज्य की स्थापना करने में तुम्हें मेरी मदद करनी होगी ॥' जो कहोगे, वही करूँगी !' मधूलिका ने कहा। और अरुण उसे अपनी योजना बताने लगा ।




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