अजूबे | AJOOBE - NBT

AJOOBE - NBT by पुस्तक समूह - Pustak Samuhलक्ष्मी खन्ना 'सुमन' - LAXMI KHANNA 'SUMAN'

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लक्ष्मी खन्ना 'सुमन' - LAXMI KHANNA 'SUMAN'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“तो ठीक है, इतवार को यही करते हैं। आस-पास के दर्जियों से पूछ लेते हैं।” इतवार के दिन रीमा और राधा ने तीकू के भाई को ढूंढने के लिए पास वाले बाजार के कई दर्जियों की दुकानों पर गईं। एक दर्जी से बोलीं, “हमारी गुड़िया बहुत सुंदर है, हम उसका विवाह ऐसे गुड़डे से करना चाहती हैं, जो अच्छी सुंदर ड्रैस पहनता हो और जरा सोबर पढ़ा-लिखा लगे। अंकल! आप हमें यह बताएं कि आपके पास कोई लड़की अपने गुड़डे की ड्रैस बनवाने तो नहीं आई थी?” बूढ़े दर्जी ने उनकी मासूमियत पर हंसते हुए कहा, “नहीं तो हमसे ड्रैस बनवाने तो कोई लड़की नहीं आई, परंतु जब गुड़िया की शादी करो तो हमें जरूर बताना। हम तुम्हारी गुड़िया के लिए अच्छी ड्रैस बनवा कर तोहफे में देंगे ।” वे दोनों भी मुस्करा कर दूसरे दर्जी के पास चल दीं, “अंकल! हमें अपनी गुड़िया की ड्रैस सिलवानी है। क्या आप गुड़डे-गुड़ियों की ड्रैस भी सिलते हैं?” क्यों मुन्नी! क्‍या तुम्हारे जन्मदिन का फंक्शन' है? हमने आज तक तो नहीं सिली, परंतु तुम्हारे लिए सिल सकते हैं, अगर तुम अपने जन्मदिन का केक खिलाओ ।” “नहीं! नहीं!! मेरा जन्मदिन नहीं है। अच्छा, मैं अपनी गुड़िया को लेकर आऊंगी।” फिर वे आगे चल दीं। “भाई! यह काम तो बहुत अजीब है! सभी हमारा मजाक बनाते हैं।” 26 “अरे, तो क्या हो गया? जरा वे भी अपनी बोरियत दूर कर लेते हैं।” “बस दो और दर्जियों से पूछेंगे।” अगले दर्जी ने बताया, “हां! हां!! बिटिया! एक मुन्नी आई तो थी, हमारे पास अपने गुड़डे की ड्रैस बनवाने। कहने लगी कि इस गुड़्डे का जन्मदिन मनाना है। अच्छी-सी चार ड्रैसें सिल दें।” “अच्छा, फिर?” रीमा ने उत्सुकता से पूछा, “तो क्या आपने ट्रैसें बना दी थीं? कौन थी वह लड़की? हम अपनी गुड़िया की उसके गुड़डे से शादी की बात चलाना चाहती हैं।” “हां! हमने बहुत अच्छा पजामा-कुरता, पैंट और कमीजें बना दी थीं।” “अच्छा, परंतु वह लड़की रहती कहां है?” “उधर बाजार के कोने वाले मकान की पहली मंजिल पर। क्या नाम है उसके पापा का... ? हां! हां!! सुदर्शन साहब ।” “ठीक है चचा! अगर बात पक्की हो गई तो आपको भी दावत में बुलाएंगे।” हंस कर रीमा ने कहा तो सभी हंसने लगे। रीमा ने राधा से कहा, “अभी दिन के बारह बजे हैं। आज इतवार को ही तीकू के भाई को ढूंढ लेना चाहिए ।” जल्द ही वे उस मकान पर पहुंच गईं, जहां वह गुड़ूडे वाली लड़की रहती थी। उन्होंने घंटी बजाई तो एक आंटी ने दरवाजा खोला । “नमस्ते आंटी! क्या हमारी सहेली अंदर है?” “कौन सुकन्या?” “हां! हां!! नहीं तो और कौन?” अरे बेटी! उसके पांव तो घर में टिकते ही नहीं हैं! कह कर 29




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