दुष्यंत कुमार की 15 कवितायेँ | 15 POEMS OF DUSHYANT KUMAR

15 POEMS OF DUSHYANT KUMAR  by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaदुष्यंत कुमार -DUSHYANT KUMAR

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

दुष्यंत कुमार -DUSHYANT KUMAR

No Information available about दुष्यंत कुमार -DUSHYANT KUMAR

Add Infomation AboutDUSHYANT KUMAR

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
कहाँ तो तय था चरागाँ हर एक घर के लिए कहाँ चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए| यहाँ दरख्तों के साए में धूप लगती है चलो यहाँ से चले और उम्र भर के लिए| न हो कमीज तो घुटनों से पेट ढक लेंगे ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफर के लिए| खुदा नहीं न सही आदमी का ख्वाब सही कोई हसीन नजारा तो है नजर के लिए| वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता मैं बेकरार हूँ आवाज में असर के लिए| जिएँ तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले मरें तो गैर की गलियों में गुलमोहर के लिए| गांधीजी के जन्मदिन पर मैं फिर जनम लूँगा फिर मैं इसी जगह आऊँगा उचटती निगाहों की भीड़ में अभावों के बीच लोगों की क्षत-विक्षत पीठ सहलाऊँगा लँगड़ाकर चलते हुए पावों को कंधा दूँगा गिरी हुई पद-मर्दित पराजित विवशता को बाँहों में उठाऊँगा | इस समूह में




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now