परमाणु शक्ति के बारे में हमने कैसे जाना ? | HOW DID WE KNOW ABOUT ATOMIC POWER

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आइज़क एसिमोव -Isaac Asimov

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वैज्ञानिक इस तथ्य से अवगत थे, कि जब रसायन एक दूसरे से संयुक्त (००॥1011€0) होते हैं, तो ऊर्जा उत्पन्न होती है| उदहारण के लिये, जब लकड़ी, अथवा कोयला (०८०४॥), या पेट्रोल जलता है तो ईंधन (७७)) के कार्बन एवं हाइड्रोजन के परमाणु वायु की ऑक्सीजन के परमाणुओं से संयुक्त होते हैं, तो ऊर्जा उत्पन्न होती है| इस प्रकार के संयोग को रासायनिक प्रतिक्रिया को (०॥९॥11८४| 723०10०॥) कहते हैं, तथा इस तरह से उत्पन्न ऊर्जा को रासायानिक ऊर्जा को (७#०॥10०४।| ७1099) कहते हैं| एक बार, वैज्ञानिक परमाणु की संरचना समझ गए, तो वे देख सके कि रासायनिक प्रतिक्रियाएं तब होती हैं, जब इलेक्ट्रान एक परमाणु से दूसरे परमाणु में स्थान्तरित (७/॥गा) होते हैं। कुछ इल्ेक्ट्रोनों का व्यवस्थापन (819700707) परमाणु संरचना में पर्याप्त ऊर्जा के साथ रहता है, जबकि दूसरे इलेक्ट्रान कम ऊर्जा के साथ रहते हैं। जब व्यवस्थापन उच्च ऊर्जा वाली संरचना से निम्न ऊर्जा वाली संरचना पर स्थान्तरित होता है, तो अतिरिक्त ऊर्जा को क्या होता है? यह प्रकाश, ऊष्मा, तथा ऊर्जा के दूसरे रूपों में जाती है| परन्तु, यह तो केवल इलेक्ट्रोनों के विषय में ही है| परमाण्विक नाभ्रि में प्रोटोन एवं न्यूट्रॉन के विषय में क्या? कुछ प्रोटोन-न्यूट्रॉन व्यवस्थापन संरचना में पर्याप्त ऊर्जा बंधी (180) हुई होती है। दूसरे व्यवस्थापन कम ऊर्जा रखते हैं| यदि उच्च ऊर्जा व्यवस्थापन, निम्न ऊर्जा व्यवस्थापन की ओर स्थान्तरित होता है, तो अतिरिक्त ऊर्जा पुनः निकलेगी| इस बार यह अत्यंत लघु तरंगों के विकिरण के रूप में अथवा अत्यंत उच्च वेग के कणों के रूप में निकलेगी| रेडियोधर्मिता मेँ, यूरेनियम, थोरियम, रेडियम, तथा इसी प्रकार के अन्य तत्व के नाभि में प्रोटोनों तथा न्यूट्रॉनों को इस तरह पुनः व्यवस्थित किया जाये, जिससे कम उर्जा जुड़ी हो। इसे नाभिकीय (100७४) अथवा आणविक (०0०7०) प्रतिक्रियाएं कहते हैं| नाभि के प्रोटोन तथा न्यूट्रॉन, इलेक्ट्रोनों से बहुत अधिक भारी होते हैं। ये इलेक्ट्रोनों की तुलना में अत्यंत कसकर (1911५) एवं घनिष्ठ रूप (0056,) से आयोजित (#०॥७) रहते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रोटोन एवं न्यूट्रॉन संरचना के साथ आयोजित ऊर्जा इलेक्ट्रोनों के साथ आयोजित उर्जा से बहुत अधिक होती है। यही कारण है कि रेडियोधर्मिता की स्थिति में मिलने वाली ऊर्जा पेट्रोल के जलने से प्राप्त ऊर्जा से अत्यंत अधिक होती है। जब वैज्ञानिकों ने विभिन्‍न नाभिओं का अध्ययन किया, तो वे जान सके कि मध्य (बीच) साइज़ के नाभियों के पास सबसे कम उर्जा होती है| यूरेनियम तथा थोरियम जैसे भारी नाभिओं के पास अधिक उर्जा होती है। यदि ये अपनी नाभियों को कम ऊर्जा के साथ छोटी नाभियों में पुनः व्यवस्थित करें, तो प्रारंभ करने के लिये अतिरिक्त ऊर्जा उनके पास है, जो विकिरण तथा कणों के रूप में निकलेगी।|




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