बारिश | BARISH

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स्वाती राजे - SWATI RAJE

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जैसे-जैसे लोगों का शोरगुल तेज हुआ बैसे-वैसे आपस में बातचीत कम हुईं... तीन और फिर चार-पांच , ,, छह-सात, , , आठ महीने पलक झपकते बीते। आवाज जसा वाढत गेला तसं बोलणं कमी झाल... दिवस... रात्र... आठवडा... पंधरवडा... एक महिना... दीन... तीन... आणि चार-पाच. सहा-सात... आठसुद्धा... महिनेच महिने उलटून गेले.




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