एनीमल फार्म | ANIMAL FARM

Book Image : एनीमल फार्म  - ANIMAL FARM

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जार्ज ओर्वेल -GEORGE ORWELL

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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सूरज प्रकाश -SURAJ PRAKASH

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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का मेजपोश मिल गया था। उसने उस पर एक सुम और एक सींग सफेद रंग से पेंट कर दिया था। इसे फार्म हाउस के बगीचे में हर रविवार की सुबह ध्वज डंडे पर चढ़ा कर फहराया जाता। सनोबॉल ने स्पष्ट किया कि झंडा इसलिए हरा है क्योंकि यह इंग्लैंड के हरे-भरे खेतों का प्रतीक है, जबकि सुम और सींग पशुओं के उस भावी गणतंत्र की ओर इशारा करते हैं जब मनुष्य जाति को पूरी तरह खदेड़ दिया जाएगा। झंडा फहराने के बाद सभी पशु बड़े बखार में मार्च करते हुए जाते और आम सभा के लिए इकट॒ठा होते। इसे बैठक कहा जाता। यहाँ अगले सप्ताह के कामों की योजना बनाई जाती। संकल्प सामने रखे जाते और उन पर बहस होती। हमेशा सूअर ही संकल्प सामने रखते। पशु वोट देना तो सीख गए थे, लेकिन अपनी तरफ से कोई संकल्प रखने की बात कभी नहीं सोच पाए। स्नोबॉल और नेपोलियन बहसों में सबसे ज्यादा बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते। लेकिन यह पाया गया कि वे दोनों कभी एक-दूसरे से सहमत न होते। उनमें से कोई एक भी सुझाव रखता, दूसरा हर हालत में उसका विरोध करता। यहाँ तक कि जब यह संकल्प किया गया कि फलोदयान के पीछे एक छोटा-सा बाड़ा उन पशुओं के आरामघर के लिए अलग रख छोड़ा जाए जो काम करने की उम्र पार कर चुके हैं, यह एक ऐसी चीज थी, जिस पर किसी को एतराज नहीं हो सकता था, लेकिन इस बात पर धुआँधार बहस हो गई कि पशुओं की प्रत्येक जाति के लिए सेवानिवृत्ति की सही उम्र क्या रखी जाए। बैठकें हमेशा 'इंग्लैंड के पशु' गीत के साथ समाप्त होतीं, दोपहर का समय मनोरंजन के लिए रखा जाता। सूअरों ने साज-सामान के कमरे को अपने लिए मुख्यालय के रूप में चुन त्रिया था। वहाँ, शाम के वक्‍त वे बढ़ईगीरी, लुहारगीरी और दूसरी जरूरी कलाओं का अध्ययन उन किताबों से करते जो फार्म हाउस से उठा लाए थे। सनोबॉल खुद को दूसरे पशुओं को संगठित करने में उल्नझाए रखता। इन्हें वह पशु समिति कहा करता। वह इस काम में बिना थके जुटा रहता। उसने मुर्गियों के लिए अंडा उत्पादन समिति (इसका उद्देश्य चूहों और खरगोशों को पालतू बनाना था), भेड़ों के लिए धवल्न ऊन आंदोलन और इस तरह की कई समितियाँ बनाईं। इसके अलावा उसने पढ़ने-लिखने की कक्षाएँ चलाईं। कुल मिला कर ये परियोजनाएँ टार्यँ-टायँ फिस्स हो गई। उदाहरण के ल्रिए, जंगली जीव-जंतुओं को पालतू बनाने की कोशिश तो उसी समय ही चूँ बोल गई। वे पहले की ही तरह बर्ताव करते रहे और जब उनसे उदारता से पेश आया गया तो उन्होंने इसका फायदा उठाना शुरू कर दिया। बिल्ली पुनर्शिक्षा समिति में शामित्र हो गई। कुछ दिन तक तो वह इसमें बहुत उत्साहित रही। एक दिन वह छत पर बैठ गाौरैयों से बात करती दिखाई दी। वे बिल्ली की पहुँच के जरा-सी बाहर थीं। वह उन्हें बता रही थी कि सभी पशु-पक्षी अब मित्र हैं और कोई भी गौरैया उसके पंजे पर आ कर बैठ सकती है, लेकिन गौरैओं ने अपनी दूरी बनाए रखी। अलबत्ता, पढ़ने-लिखने की कक्षाएँ खूब सफल रहीं। शरद ऋतु के आते-आते बाड़े का हर पशु कुछ हद तक साक्षर हो चुका था। सूअर तो पहले से ही धड़ल्ले से पढ़ और लिख सकते थे। कृत्तों ने काफी हद तक पढ़ना सीख लिया, लेकिन वे सात धर्मादेशों के अलावा कुछ भी पढ़ने या सीखने के लिए इच्छुक नहीं




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