कंगूरे वाले मकान का रहस्यमय मामला | KANGOORE VALE MAKAAN KA RAHASYAMAY MAMLA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
15
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh
होल्गेर पक्क - HOLGER PUKK
No Information available about होल्गेर पक्क - HOLGER PUKK
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क्या आप म...मेहरबानी करके फौरन आ सकते हैं.....मामला यहाँ
दिन-प्रतिदिन ....ब..बद से बदतर होता जा रहा है...और आज हालात हमेशा से
कहीं अधिक ब...ब..बुरा है।”
“क्या चल रहा है वहाँ?” महा जासूस बुदबुदाया। कंगूरे वाले मकान में जाने
के लिए वह बहुत उत्सुक नहीं था क्योंकि उसके हाथ में पहले से ही एक अत्यन्त
महत्वपूर्ण मामला था। उसे दो लापता बर्फ के आदमियों की गुत्थी सुलझानी थी। वह
एक साधारण-सा मामला ही था, परन्तु दुर्भाग्यवश कहीं पर अँगुलियों का निशान नहीं
मिला था।
“मैं नहीं बता स...स...सकता। अ...आकर खुद देख लीजिये,” जवाब में
एक कमजोर सी आवाज आयी। और एक गूँजते धमाके के साथ ही वह हकलाती सी
आवाज आनी बन्द हो गयी।
जासूस तुरन्त सावधान हो गया। वह अनुभव से यह बात जानता था कि एक
बार जब पिस्तौलें धूम-धड़ाक करने लगती हैं तो मामला खासा बिगड़ चुका होता है।
महा जासूस मुंगेरीलाल ने अपनी आरामकुर्सी के हत्थे में लगा एक बटन
दबाया। और तुरन्त दो पंखे कुर्सी के पीछे गनगनाने लगे। कुर्सी मुंगेरीलाल को लिए
हुए हवा में ऊपर उठी और जुूँ-जूँ करते खुली खिड़की के रास्ते तेजी से बाहर निकल
गयी। यह किसी सफर पर जाने का एक सुविधजनक तरीका था, आप को अपने पैरों
का इस्तेमाल करने की कोई जरूरत ही नहीं। और ठीक इसी वजह से महा जासूस
एक गुब्बारे की तरह खूब गोलमटोल हो गया था।
चीड़ और देवदारु मार्ग के कोने वाले मकान पर पहुँचकर उसने घूम-घूमकर
उसका दो-चार चक्कर लगाया। वह ऐसा कोई मार्ग देख रहा था जिससे होकर वह
अन्दर उतर सके। उसे दुनिया में किसी भी चीज से अधिक नफरत सीढ़ियाँ चढ़ने से
थी।
उसे एक दरवाजेनुमा खिड़की खुली हुई मिल गयी और वह सीधे बैठक-खाने
के बीचोबीच उतरा।
मुंगेगेलाल एक अनुभवी जासूस था, फिर भी उसके मन में पहला भाव यह
: क्ंगूने वाले मकान का नह॒म्रयमय मामला.
6
User Reviews
No Reviews | Add Yours...