नन्हा राजकुमार | THE LITTLE PRINCE

THE LITTLE PRINCE  by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaसैंट एंटोनी दे एक्ज़ूपेरी - SAINT ANTONIE DE EXUPERY

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“पचास करोड़, .. पचास करोड़ पता नहीं क्‍या ,,, याद ही नहीं रहा। इतना काम है। बड़ा गम्भीर आदमी हूं मैं। मैं बेकार की बातों में नहीं पड़ता। दो पांच सात , ,” “इक्यावन करोड़ क्‍या?” राजकुमार ने दोहराया। एक बार सवाल पूछने पर जीवन में उसने कभी किसी को उत्तर पाए बिना छोड़ा नहीं था। व्यवसायी ने सिर उठाया, “मैं चौव्वयन साल से इस ग्रह पर हूं और इस बीच मेरे काम में केवल तीन बार बाधा पड़ी है। पहली बार, बाईस साल हुए, एक भौरा न जाने कहां से गिर पड़ा था। इतने जोरों की आवाज हुई कि मुझसे हिसाब में चार गलतियां हुईं। दूसरी बार, ग्यारह साल हुए मुझे गठिया हो गई थी। मैं व्यायाम तो कर नहीं पाता। मेरे पास खराब करने के लिए वक्‍त तो हे नहीं। गम्भीर व्यक्ति जो ठहरा। तीसरा बार, यह रहे तुम हां, तो मैं कहां था इक्यावन करोड़ ... ” “इक्यावन करोड क्‍या?” व्यवसायी समझ गया कि उसे शांति नहीं मिलने वाली है। “वे छोटी-छोटी चीजें जो कभी-कभी आसमान में दिखाई पड़ती हें।” “मक्खियां? ! “नहीं भाई। वे जो चमकती हें।” 44 जुगनू ? की “नहीं! नहीं! सुनहरी चीजें जिन्हें देखकर असली लोग हवाई किले बनाने लगते हैं। लेकिन मैं ऐसा-वेसा आदमी नहीं, मुझे वक्‍त खराब करने की फुरसत नहीं।” “अच्छा! सितारे?” “हां! हां! सितारे!” “इन पचास करोड सितारों से तेरा क्या मतलब?” “पचास करोड़ नहीं - पचास करोड़ सोलह लाख बाईस हजार सात सौ इक्तीस। मैं इधर-उधर की बात नहीं करता। मैं गलती नहीं करता।” “क्या करता है तू इन सितारों का?” “उनका मैं क्‍या करता हूं?” “हां।” “कुछ नहीं - बस उनका मालिक हूं।” “तू सितारों का मालिक हूं।” “हां।” “लेकिन ,. मैं एक राजा को जानता हूं जो,,, वो राजा कहता था कि सब सितारों पर उसी का राज्य हे।” “राजाओं का कुछ नहीं होता। बस वे शासन करते हैं। रखना और शासन करना अलग चीजें हैं।” “इन सितारों का मालिक होने से तुझे क्या मिलता हे?” “मैं इनकी वजह से धनी हूं!” “और धनी होने से फायदा?” “अगर और किन्हीं सितारों का पता चले तो मैं उन्हें खरीद सकता हूं।” राजकुमार ने सोचा कि वह तो बिल्कुल उस शराबी जैसे तर्क दे रहा है। “अरे भाई सितारों को कोई कैसे रख सकता है - कैसे उनका मालिक बन सकता है?” “तो किसके हैं यह सितारे?” व्यवसायी ने खीज कर पूछा। “मुझे नहीं मालूम - शायद किसी के नहीं।” “अगर किसी के नहीं हैं तो मेरे हैं क्योंकि सबसे पहले मैंने ही ऐसा सोचा है।” “सोचना काफी होता है?”




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