सिकंदर | SIKANDA BGVS

SIKANDARBGVS by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaवंदना शर्मा -VANDANA SHARMA

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वंदना शर्मा -VANDANA SHARMA

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ने इन महिलाओं को आश्वस्त किया कि उन्हें उससे या उसके आदमियों से डरने की जरूरत नहीं है। उसने डेरियस से साम्राज्य के लिए लड़ाई की है, न कि किसी व्यक्तिगत वजह से। उसने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी हेसियत के हिसाब से ही उनके साथ व्यवहार किया जाएगा और उन्हें वह सब प्राप्त होगा जो डेरियस के यहां उन्हें मिलता था। सिकंदर महिलाओं के लिए हमेशा बहुत पवित्र और दयालु व्यवहार रखता था। वह शादी की संस्था की बहुत इज्जत करता था। वह कहा करता था कि दो चीजें- नींद और प्रजनन की प्रक्रिया, उसे हमेशा याद दिलाती थीं कि वह इंसान है, भगवान नहीं; जैसे वह यह कहना चाहता हो कि थकान और वासना दोनों मानवीय प्रकृति की उसी कमजोरी और नासमझी से पैदा होती हैं। सिकंदर का अपनी भूख पर पूरा नियंत्रण था। न तो वह चीजें चुन-चुनकर खाने वाला था और न ही सब कुछ खा लेने वाला पेटू था। जब उससे कुछ रसोइयों की पाक कुशलता के बारे में कहा गया तो उसने यह कहा कि भूख बढ़ाने के लिए सबसे अच्छी चीज हे नाश्ते से पहले पैदल चलना और संतुलित नाश्ता ताकि रात का खाना ठीक से खाया जा सके। आम तौर पर प्रचलित है कि सिकंदर को शराब की आदत थी। शायद्‌ यह धारणा इस वजह से बनी कि उसे शराब पीते हुए देर रात तक बातें करना बहुत पसंद था। उसके पास जब भी खाली समय होता वह उसे पढ़ने-लिखने या शिकार पर जाने में लगाता। जब तक खूब अंधेरा नहीं हो जाता, वह रात को खाने के लिए नहीं जाता। फिर देर तक खाना खाता, क्योंकि उसे बात करना खूब पसंद था। आमतौर पर उसकी बातचीत मजेदार और बुद्धिमत्तापूर्ण होती थी, परन्तु कभी-कभी उसे डींग मारते हुए समय बिताना पसंद था। इससे उसके आसपास के चापलूसों को मौका मिलता था और उसके दोस्तों में अप्रिय स्थिति पैदा हो जाती थी, जब उन्हें शर्म और डर- दोनों में से किसी एक को चुनना पड़ता था। वे चापलूसी करना तिरस्कारपूर्ण समझते, लेकिन नहीं करते तो उसे नाराज करते। ५३११ 16




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