खुशहाल बच्चे | KHUSHAL BACHCHE

KHUSHAL BACHCHE  by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaशोभा भागवत - SHOBHA BHAGWAT

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शोभा भागवत - SHOBHA BHAGWAT

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इन बच्चों को बिना कारण डांटना, या फिर बिना बात सिर पर हाथ फेरना नापसंद है। वे हमेशा अपना काम ठीक प्रकार से व्यवस्थित करने की कोशिश करते हैं। अन्य लोग उनके साथ इज्ज़त के साथ पेश आएं ऐसी उनकी अपेक्षा होती है। कुछ बच्चे अपने समूह में किसी के भी साथ प्यार से नहीं रहते। इन मौकों पर ताईयों की सही परीक्षा होती है। इन बच्चों की असलियत को पहचान पाना एक कठिन काम होता है। उनके साथ अलग विशेष व्यवहार करना पड़ता है। वे समूह से अपना संबंध न तोड़ें, इसके लिए कोई न कोई युक्‍क्ति लगानी पड़ती है। बच्चों की खासियतों और ज़रूरतों, उनकी ताकतों को समझने के लिए कोई विशेष शिक्षा की ज़रूरत नहीं है। अनुभव और संवेदनशीलता से यह बातें खुद धीरे-धीरे समझ में आने लगती हैं। अगर हमारे पास बच्चों के साथ बिताने के लिए पर्याप्त समय है तो हम अवश्य, बालमन को गहराईयों तक पहुंचने में सफल होंगे। छुट्टियों में विशेष शिविर अप्रैल-मई में स्कूल बंद होते हैं। उन दिनों हमारा काम तीन-चार गुना बढ़ जाता है। सामान्य तौर पर जो बच्चे बालभवन में नहीं आ पाते हैं ऐसे 500-600 बच्चे, डेढ़ महीने की छुट्टियों में बालभवन में आते हैं। बालभवन में उनके लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दूसरे शहरों से आए हुए बच्चे भी, इन कार्यक्रमों में भाग लेने को बहुत उत्सुक होते हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर कोई 1,000 बच्चे, छुट्टियों में रोज़ाना बालभवन में आते हैं। हम लोग खेलकूद के, विभिन्न कलाओं के और अध्ययन के लगभग चालीस शिविरों का आयोजन करते हैं। हर साल कल्पनाताई कला-कौशल का एक शिविर लगाती हैं। वो बच्चों से इतनी सुंदर और उपयुक्त चीज़ों का निर्माण करवाती हैं कि उन कला-कृतियों को देखकर ऐसा नहीं लगता है कि इन्हें बच्चों ने ही बनाया है। कमलाताई, पुष्पाताई और चार-पांच अन्य ताईयां मिलकर खाना 26 बनाना सीखने का शिविर लगाती हैं। लड़कों और लड़कियों दोनों को, खाना बनाना आए और उनके मन में इसका डर दूर हो यही इसका उद्देश्य है। 3 से 6 वर्ष को आयु के बच्चों को ऐसे व्यंजन बनाना सिखाए जाते हैं जिनमें पकाना - यानि आग या गैस की आवश्यकता न पड़े। इसमें शरबत, लस्सी, चपाती के लड्डू आदि बनाना सिखाए जाते हैं। इससे बच्चे काटना, कसना, मथना, गूंदना आदि बातें सीख जाते हैं। चाकू से काटने में बच्चों को अपार आनंद मिलता है और खुशी उनके चेहरों पर साफ झलकती है। अदिती ने बालभवन में जोकर वाला सैंडविच बनाना सीखा। अब वो घर में आने वाले सभी मेहमानों को वही जोकर वाला सैंडविच ही खिलाती है। जोकर वाला सैंडविच बनाना एकदम आसान है। कटोरी से ब्रेड के दो गोले काटो और उनके बीच में मक्खन, जैम, चटनी आदि लगाकर ऊपर से गाजर की आंखें और मुंह और मूमफली के दाने की नाक लगाओ। एक बार बारह साल के लड़के ने पूरी बनाते समय जब अपनी मां से पूछा, ' क्‍या में लोई बना दूं?” तो मां को बेहद खुशी हुई। 29




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