मुसीबत का साथी | MUSEEBAT KA SAATHI
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
18
श्रेणी :
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सेर्गेई मिखाकोव -SERGEI MIKHAILKOV
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क्यों परेशान होती हो?” खरगोश ने कहा, “उसे वहीं पड़े रहने दो, अगर किसी को
जाना होगा तो वह उसके किनारे से जा सकता है।”
. और इस तरह चट्टान उनके बिल्कुल सामने कुछ दूरी पर पड़ा रहा।
एक दिन खरगोश बगीचे से उछलते-कूदते हुए घर आ रहा था और भूल गया कि रास्ते
में एक चट्टान पड़ा हुआ है। वह बुरी तरह लड़खड़ाकर गिर गया और उसकी नाक टूट गई |
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# 7 बल
“चलो, पत्थर को हटा दें,” उसकी पत्नी ने फिर कहा। “देखो, तुमने खुद को कितना
चोटिल कर लिया।”
“तो क्या!” खरगोश ने कहा। “कोई ज्यादा चोट नहीं लगी है।”
15 / मुसीबत का साथी
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