मेरा जादुई स्कूल | MY MAGICAL SCHOOL

MY MAGICAL SCHOOL by डॉ० अभय बंग - DR. ABHAY BANGपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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डॉ० अभय बंग - DR. ABHAY BANG

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीवंत शिक्षा नई तालीम पद्धति पर अक्सर एक आरोप लगाया जाता है । स्कूल में छात्र शारीरिक श्रम में जितना समय व्यय करते हैं वह उसके ज्ञान अर्जन के रास्ते में बाधक बनता है। मद्रास प्रांत में जब बेसिक एडयूकेशन शुरू हुई तब लोगों ने आरोप लगाया, “शारीरिक श्रम के कारण हमारे बच्चों की पढ़ाई पीछे छूट रही है।”” इस आरोप के कारण वहां के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजाजी को इस्तीफा देना पड़ा। परंतु असलियत क्‍या है? बच्चों के दिमाग में तमाम अचरा-कचरा जानकारी भरना और उसे परीक्षा में उगल देने भर को जो लोग सही शिक्षा मानते हैं, उन्हें अवश्य यह आरोप सही लगा होगा। अगर बच्चा गंधक के अम्ल को बनाने की चार अलग-अलग विधियां नहीं बता सकता है तो उसका ज्ञान कच्चा है, ऐसा इस गुट का मानना है। नवीं कक्षा के विद्यार्थी को इस जानकारी से क्‍या लाभ होगा, इससे उन्हें कुछ लेना-देना नहीं है । पर जीवन से संबंधित हर ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में नई तालीम के छात्र कहीं अधिक कुशल पाए गए परंतु इतिहास, भूगोल, राजनीति शास्त्र और सामान्य ज्ञान जैसे विषयों में उनकी क्‍या स्थिति थी? भूगोल का विषय मैंने अपने जादू भरे स्कूल में औपचारिक रूप में कभी नहीं सीखा। सेवाग्राम में देश-विदेश के बहुत से लोग आते थे। उनसे अलग-अलग देशों और प्रान्तों के बारे में सुन कर मैंने बहुत कुछ सीखा । मुझे विभिन्न देशों के डाक-टिकट इकट्ठे करने का बहुत शौक 16




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