तीन बेटियों की माँ | TEEN BETIYON KI MA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
397 KB
कुल पष्ठ :
6
श्रेणी :
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मेरी तीनों बेटियाँ साँवली हैं। उनकी काली आँखे हैं बड़ी-
बड़ी पके जामुनों जैसी और हाथ बड़े फुर्तीले हैं | ख़ूब काम करती
हैं । मेरी ही तरह वे तरह-तरह के धंधे पीटेंगी। पर फिर भी उनके
होने से मुझे बड़ी तसली है। मैं अकेली तो नहीं हूँ न।
थ्
तुम समझते हो लड़कियाँ बेकार होती हैं। औरतों के कामों
को आप जानते ही नहीं। अरे देखो मैंने सड़क बनाई, धान की
रोपाई की, कपास चुना, कपड़े की फैक्ट्री में रीलिंग की, आलू
खोदे, तीन-तीन बेटियों को जनम दिया, पाला-पोसा, क्या में
बेकार हूँ? ये जो तुम चाय पीते हो, इसकी पत्तियाँ भी लड़कियाँ
ही चुनती हैं।
और क्या-क्या नहीं करतीं! इतने धंधे औरतें करती हैं कि
गिनवाने मुश्किल । और तुम्हारा ये सूटर कोई एक पौंड का होगा।
एक पौंड ऊन इतनी होती है कि दिन-रात लगकर तीन दिन में
उसका सूटर बनता है जिसके मुझे बारह रुपये मिलते थे।.
तब बच्चियाँ छोटी थीं तो सोचती थी घर में उनके पास बैठे-
बैठे बुनाई कर सकती हूँ। लेकिन धंधा बड़े नुकसान का था। फिर
ठेकेदार ने मीन-मेख निकालनी शुरू की और मुझ पर गलत नज़र
डालने लगा ती मैंने ये धंधा छोड़ दिया। फिर आटे की फैक्ट्री में
काम किया। बड़े काम छोड़े और पकड़े। दो चार मुर्गियाँ और
बकरियाँ तो ख़ैर पालती ही हूँ । इसी तरह रूखा-सूखा चलता है।
ये जो तुम्हारी बीवी ने रेशमी साड़ी पहन रखी है, इसके धागे
भी औरतें तैयार करती हैं। कीड़े पालती हैं । मुश्किल काम है।
जाँघ में घाव हो जाते हैं। धान की रोपनी में भी पैरों में खारवे हो
जाते हैं और कमर झुके-झुके टूट जाती है।
मुझ पर पैसे होते तो अपनी लड़कियों को पढ़ाती-लिखाती |
उन्हें मास्टरनी बनाती या डाक्टरनी | तुम खुद पढ़े-लिखे हो । पैसे
वाले भी दीखते हो | तुम लड़की का गर्भ क्यों गिरवाना चाहते हो ।
तुम समझते हो तुम्हारी लड़की कोई काम नहीं कर सकती। अरे
आदमी कोई फालतू चीज़ नहीं। सौ काम हैं उसके करने को।
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