किपलिंग की कहानियाँ | KIPLING KEE KAHANIYAN
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
52
श्रेणी :
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रुडयार्ड किपलिंग - RUDYARD KIPLING
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)और भी ज्यादा दुखी होकर कहा, “मैं केसे विश्वास करूं कि किसी
अंधेरी रात में नाग मुझे” छोड़ो तुम नहीं समझोगे।”
“इस बात का जरा भी खतरा नहीं हे,” रिक्ली-टिक्ली ने कहा,
“नाग बागीचे में है और तुम वहां नहीं जाते।”
“मेरे भाई चूहे ने बताया है,” छुछुंदर ने कहा और वह बीच में
ही रुक गया।
“तुम्हें क्या बताया है?” रिक्ली-टिक्ली ने पूछा।
“रिक्ली-टिक्ली , नाग हर जगह हे। तुम्हें चूहे से बात करनी चाहिए
थी । की
“मैंने नहीं की, इसलिए तुम मुझे बताओ। जल्दी बताओ छुछुदर,
नहीं तो मैं तुम्हें काट लूंगा।”
छुछुंदर बैठ गया और रोने लगा। आंसू बहकर उसकी मूंछों तक
आ गए। “मैं बहुत कमजोर जीव हूं,” उसने सिसककर कहा, “मेरे
अंदर कभी कमरे के बीच में जाने की हिम्मत भी नहीं हुई। में तुम्हें
कुछ नहीं बता सकता! रिक्ली-टिक्ली, तुम सुन नहीं सकते क्या!”
रिक्ली-टिक्ली ने सुना। मकान बिल्कुल शांत था। लेकिन उसे लगा
कि वह खुरच-खुरच की बहुत ही हल्की-सी, दुनिया की सबसे हल्की
आवाज पकड़ रहा है जैसे-पतंगे की खिड़की के शीशे पर चलने की
आवाज- सांप की खाल की ईंटों पर चलने की सूखी-सी रगड़ की
आवाज।
“वह नाग या नागिन है,” उसने अपने-आप से कहा, “और वह
स्नानघर की नाली में रेंग रहा है। तुम ठीक कह रहे हो, छुछुंदर। मुझे
चूहे से बात करनी चाहिए. थी।” वह धीरे से टेडी के स्नानघर में गया।
वहां कुछ नहीं था। तब वह टेडी की मां के स्नानघर में गया। वहां
प्लास्टर की हुई दीवार के नीचे एक ईंट निकालकर पानी बाहर जाने
के लिए नाली बनी थी।
रिक्ली-टिक्ली टब के पीछे छिप गया। उसने सुना नाग और नागिन
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