आएसा | AYESHA

AYESHA by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaपीटर वान ए० - PETER VON A.

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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11:18 51071 1 16 6 “हों सकता है कि तम सही हो | कौन कह सकता है कि यह. उनको ख़द का गलती हैं| हो सकता है कि मे देखना चांहतें हो पर उन्हें कं नजर नहीं आता। सोने नउनछ अधा बनाया है। . ही सकता है कि बे सनना चाहते हैं पर उन्हें कुछ सनाई नहीं देता। पा मा उस आदमी की आवाज में अब गुस्सा कम है कंछ दोस्ती का भाव भी हैं। ..... 5 पी मा 5 “आओ,” वह आदमी कहता हैं 5 || 1: इधर, उस खजूर के प्रेष्ट के नीचे बेंच 5 है पर॥




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