रामायण और महाभारत | RAMAYAN AUR MAHABHARAT

RAMAYAN AUR MAHABHARAT by इब्ने इंशा -IBNE INSHAपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हु रथ (4.08 हुस्नोइत्तेफाक था। वरना तो ऐसे करतब के लिए माहिर बाजीगर या :ह् नट होना ज़रुरी है। हम-आप नहीं लगा सकते। न कौरव और पाण्डवों में लड़ाई क्यों हुई थी? लडाई के लिए वजह #> का होना जरुरी नहीं ; अब कुछ आँखों देखा हाल उस लड़ाई का 78 सुनिये- पे खवातीन व हजरात (स्त्रियो और पुरुषो)! यह कुरुक्षेत्र का मैदान (६. है, जो तहसील कनन्‍्हेल जिला करनाल में वाका है। लड़ाई अब शुरु ६८5 होने वाली है। कौरव एक तरफ हैं, पाण्डव दूसरी तरफ हैं। यह होना 2६ भी चाहिए। उनके अलावा भी कुछ लोग मैदान में नज़र आ रहे हैं। ५: ये द्रोनाचार्य हैं। दोनों फरीकों के बुजुर्ग हैं। अपना लश्कर कौरवों को ४६ दे रखा है, आशीर्वाद पाण्डवों को दे रखा है। पाण्डवों का मुतालबा इट्र हा] ८2002 2/2# नरक ै दी 0! 1021 8 क(220 120५, ज्डिज ६ | हक़ नि ॥ 4५ 40: /2201: एव (इच्छा) था कि आशीर्वाद कौरवों को दे दें, लशकर हमें दे दें। लेकिन ६2 अं आचार्यजी नहीं माने। रु >4 ये कौन हैं? ईः ये कृष्नजी हैं। मशहूर अफसाना निगार कृष्न (कहानीकार (हु ले कृश्नचन्दर) नहीं! न महाशय कृष्न, बल्कि और साहब हैं ! कृष्न 2५ हु जे भगवान। अभी-अभी मक्खन खाकर मैदान में आ रहे हैं। मक्खन अभी (६ +5॥ तक होंठों पर लगा है। बैठे गीता लिख रहे हैं। अर्जुन को उपदेश दे ७4 रहे हैं। याद रहे कि कौरव और पाण्डव एक-दूसरे के कज़िन हैं। £& 1 ऐ लो... खाण्डे बजने लगा। रथ से रथ टकराने लगा। यह लड़ाई. 7८ लम्बी चलती मालूम होती है, लिहाज़ा अब हम वापस स्टूडियो चलते ६: र | कम | श ॥ न 1 ० न्‍ाः न ४ ४७ * | | 7 । ध | कः 9181४




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