हिरनौटा | HIRNOUTA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
14
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
दमीत्री मामिन सिबिर्याक -DAMITRI MAMEN SIBIRYAK
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तीच्की में कोई गली भी नहीं थी, घरों के बीच बस एक
पगडंडी चली गई थी। तीच्की वालों को गली की ज़रूरत
ही नहीं थी, क्योंकि उनके पास कोई घोड़ा-गाड़ी तक न
थी, जिसे वे गली में चलाते। गर्मियों में यह गांव दुर्गम
दलदलों और झाड़-झांखड़ भरे जंगल से घिरा होता था,
सो संकरी जंगली पगडंडियों से भी वहां मुश्किल से ही
पहुंचा जा सकता था और वह सदा नहीं । बारिश के दिनों
में पहाड़ी नदियां उफनती और तीच्की के शिकारियों को 2222 3 |
तीन-तीन दिन तक पानी उतरने का इंतज़ार करना पड़ता। 27 -न्न 4 - 21 0६
तीच्की के सभी मर्द शिकार के धत्ती थे। सर्दियां हो या स् 5
गर्मियां वे जंगल में ही घुसे रहते थे-- अच्छा था कि जंगल
भी बगल में ही था। हर मौसम का अपना शिकार होता था:
जाड़ों में वे भालू, मार्टेन, भेड़िये और लोमड़ी का शिकार
करते थे, शरद में गिलहरी का, वसंत में जंगली बकरियों
और गर्मियों में भांति-भांति के पक्षियों का शिकार करते
थे। संक्षेप में, बारहों महीने उनको भारी काम करना होता
था, जो अक्सर खतरे से खाली नहीं होता था।
जंगल के बिल्कुल पास ही बने घर में बूढ़ा शिकारी
येमेल्या अपने नन्हे पोते ग्रिशूक के साथ रहता था। येमेल्या
का लकड़ी के लट्टों का बना घर ज़मीन में धंसा हुआ
लगता था, उसमें बस एक ही खिड़की थी। छत कौ
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