गली के खेल तथा पारम्परिक खेल | GALI KE AUR PARAMPARIK KHEL

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अरुणा ठक्कर - Aruna Thakkar

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१५० के भिन-भिन्‍न मतलबों को छोड़कर सरल कर दिया है और १, २, ३, ४, ५, ६ को अगीकार किया है (क्योंकि ६ ही कोड़ियाँ होती हैं)। गिनना, चलना, मारना मजेदार होता है, संयोगवश हम यह भी जता सकते हैं कि ६ में से कितने 'खुले' कितने 'बंद' या उल्टे पड़े। १) अगर तीन 'खुले' हैं तो खिलाड़ी अपने प्रार्ग से तीन कदम आगे बढ़ता है। जब वह एक दायय पूर्ण कर लेता है और अपने मार्ग पर वापस आ जाता है वह अंदर घूम कर विजय स्तम्भ को पा सकता है। चाल ओर गिनती हमारी आवश्यकतानुसार बदली जा सकती है। २) पहाड़ा सीखने पाले बच्चों को अभ्यास की जरूरत होती है। हमने चार का पहाड़ा लिया, इससे हर चाल का मतलब हआ ३ खुले अर्थात ४ ३ १२ १२ कदम चलो। पहाड़े में जब तक बच्चे कमजोर होते हैं, हम पहाड़े को श्यामपट्‌ट पर लगा देते हैं जिससे बच्चे देख सकें। एक सप्ताह या ऐसे ही कुछ समय बाद उसकी जरूरत नहों पड़ती। ४ आशा हु «४ ४ जौ १६ ऐ अ छे का हो. डे 2 ५ ना २० ४ #>( ३ ८ :१२ ४ «६5 कक्‍ार4




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