एक शाम जादूगर के साथ | EK SHAM JADUGAR KE SAATH

EK SHAM JADUGAR KE SAATH  by जे० बी० एस० हाल्डेन - J. B. S. HALDANEपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मेँ अपने जीवन में कुछ बहुत ही अजीबोगरीब भोजन किए हैं। अगर मैं चाहूं तो आपको एक खादान में किए गए भोजन या मॉस्‍्को के एक भोजन या फिर एक करोड़पति के साथ किए गए भोजन के बारे में बता सकता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि आप मेरे उस भोजन के बरे में जानने को ज़्यादा उत्सुक होंगे जो मैंने एक जादूगर के साथ किया था, क्योंकि ये अन्य दावतों से बिल्कुल अलग है। आमतौर पर लोग इस तरह का भोजन नहीं करते क्योंकि एक तो इंग्लैंड में ज़्यादा जादूगर हैं ही नहीं और दूसरे, कि बहुत कम लोग ही जादूगरों से परिचित होते हैं। मैं एक असली जादूगर की बात कर रहा हूं। कुछ बाज़ीगर अपने को जादूगर कहते हैं | वे बहुत चालाक होते हैं लेकिन वे उस तरह के काम नहीं कर सकते जैसे असली जादूगर करते हैं। मेरा कहने का मतलब यह है कि वे खरगोश को एक मछलियों के बरतन में बदल सकते हैं लेकिन ऐसा वे किसी आड़ में या किसी चीज़ के नीचे करते हैं और आपको पता नहीं चल पाता कि वास्तव में क्‍या हो रहा है। लेकिन एक असली जादूगर आपकी आंखों के सामने ही एक गाय को दीवार-घड़ी में बदल सकता है । लेकिन यह मुश्किल काम है और कोई भी दिन में दो बार, हफ्ते में छ: दिन यह नहीं कर पाएगा, जैसा कि बाज़ीगर खरगोश के साथ कर लेते हैं। जब पहली बार मैं मिस्टर लीकी से मिला तो सोच भी नहीं सकता था कि वह जादूगर होंगे। हुआ यूं कि एक दिन शाम 4 पांच बजे के करीब बाजार से लौटते हुए मैं एक बिजली के खंबे के पास रुका, इसी बीच मेरे पीछे-पीछे चल रहा एक छोटा-सा आदमी आगे बढ़ गया। अचानक उसने एक बस को आते देखा और बचने के लिए वो पीछे की ओर कूदा लेकिन इसी चक्कर में वह एक कार के सामने आ गया। और अगर मैंने कोट का कॉलर पकड़ कर उसे वापस खींच नहीं लिया होता तो कार ने उसे टक्कर मार दी होती। क्योंकि बरसात का मौसम था और सड़क भीगी थी, ड्राइवर के ब्रेक लगाने पर भी कार रुकी नहीं, आगे की ओर थोड़ा-सा फिसल गई। 3




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