अँधेरे में शब्द | ANDHERE MEIN SHABD

ANDHERE MEIN SHABD by ओमप्रकाश वाल्मीकि - OMPRAKASH VALMIKIपुस्तक समूह - Pustak Samuh

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

Author Image Avatar

ओमप्रकाश वाल्मीकि - Omprakash Valmiki

जन्म: 30 जून, 1950, बरला, जिला मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश

शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी साहित्य)

प्रकाशित कृतियाँ: सदियों का संताप, बस्स! बहुत हो चुका, अब और नहीं (कविता संग्रह); जूठन (आत्मकथा) अंग्रेजी, जर्मन, स्वीडिश, पंजाबी, तमिल, मलयालम, कन्नड़, तेलगू में अनूदित एवं प्रकाशित। सलाम, घुसपैठिए (कहानी संग्रह), दलित साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र, मुख्यधारा और दलित साहित्य, सफाई देवता (सामाजिक अध्ययन), दलित साहित्य: अनुभव, संघर्ष और यथार्थ, ।उउं ंदक वजीमत ैजवतपमे, चयनित कविताएँ। अनुवाद: सायरन का शहर (अरुण काले) कविता संग्रह का मराठी से हिन्दी में अनुवाद, मैं हिन्दू क्यों नहीं (कांचा एलैया) की अंग्रेजी पुस्तक

Read More About Omprakash Valmiki

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
8/26/2016 सुनाई पड़ेंगे असंखय धमाके विखण्डित होकर फिर-फिर जुड़ने के बंद कमरों में भले ही न सुनाई पड़े शब्द के चारों ओर कसी सांकल के टूटने की आवाज़ खेत-खलिहान कच्चे घर बाढ़ में डूबती फसलें आत्महत्या करते किसान उत्पीड़ित जनों की सिसकियों में फिर भी शब्द की चीख गूंजती रहती है हर वक्‍त गहरी नींद में सोए अलसाए भी जाग जाते हैं जब शब्द आग बनकर उतरता है उनकी सांसों में मौज-मस्ती में डूबे लोग सहम जाते हैं थके-हारे मजदूरों की फुसफुसाहटों में बामन की दुत्कार सहते दो घूंट पानी के लिए मिन्‍नतें करते पीड़ित जनों की आह में जिन्दा रहते हैं शब्द जो कभी नहीं मरते खड़े रहते हैं सच को सच कहने के लिए क्योंकि, शब्द कभी झूठ नहीं बोलते! ३/4




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now