बेझिन चरागाह | BEZIN CHARAGAH
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
33
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
इवान तुर्गनेव -Iwan Turgnev
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)और वह ऊपर डग नाप रहा था, जहाँ चकके हैं। वह ऐसे टहल रहा था और तख्ते
तो बस उसके बोझ से सारे झुके जा रहे थे, चरमरा रहे थे; हमारे सिरों के ऊपर से
होता हुआ वह गुजर गया और अचानक चकक्के पर जोर से पानी गिरने लगा; चक््का
खड़खडाया, खड़खडाया और लो चल दिया; और पानी के डट्टे तो बंद थे। हम हैरान:
यह किसने ड्ट्टे उठा दिए कि पानी बहने लगा; चक्का थोड़ी देर घूमा और फिर रुक
गया। अब वह ऊपर के दरवाज़े की ओर चल दिया और जीने से उतरने लगा।
सीढ़ियाँ तो जैसे उसके बोझ से कराह उठी... आखिर वह हमारे दरवाजे तक आ
गया, थोड़ी देर खड़ा रहा, खड़ा रहा और फिर दरवाज़ा एकदम सारा का सारा खुल
गया। हमारी तो बस सिद्टी-पिट्टी गुम! पर देखा तो कुछ है ही नहीं... और अचानक
देखते क्या है कि एक टंकी का जाल हिलने लगा, फिर वह उठा, उठता गया, फिर नीचे
हो गया, हवा में यों घूमा जैसे कोई उसे फटक रहा हो और फिर अपनी जगह जा
टिका। अब एक दूसरी टंकी के पास एक काँटा अपनी खूंटी से उतर गया और फिर
खूंटी पर जा लटका; फिर मानो कोई दरवाजे की ओर चल दिया और अचानक ऐसे
जोर से कोई खाँसा-खँखारा, बड़ी भारी-भारी आवाज़ में। हम सब तो बस एक दूसरे
से चिपक गए, सिर दुबकाने लगे... तौबा, कितना डर गए थे हम!”
“ओहो!” पब्लुशा बोला। “पर वह खाँसा क्यों?”
“पता नहीं, शायद सीलन थी, इसलिए ।
बेक्ित चागागाह
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