हिंदी चेतना | Hindi Chetana
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
76
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्त्री का दूसरा नाम है।
दरवाज़े पर दस्तक सुन कर सीमा के काँपते
हाथों से कागज़ छूट कर मेज़ पर यूँ बिखर गए
मानों वह कोई चोरी करती हुई पकड़ी गई हो । देखा
तो सामने उसकी सहेली अलका खड़ी थी। सीमा
के धैर्य का बाँध सारे बंधन तोड़ कर वेग गति से
बह निकला।
'*सब कुछ ख़त्म हो गया अलका।' वह उसके
सामने कागज़ बढ़ाते हुए हिचकियों में बोली।
“कुछ ख़त्म नहीं हुआ सीमा, ' कागज़ पढ़ते हुए
अलका ने सीमा को गले लगा लिया। 'यह तो ७
तुम्हारे नए जीवन की शुरुआत है। सम्भालो अपने >>
आप को। क्या यह मेरी वही बहादुर सहेली सीमा
ता ।
'मैं टूट चुकी हूँ अलका।'
* अजी जिसके चार-चार सहारे खम्भे के समान
साथ खड़े हों, वह कैसे टूट सकती है। ऑफ़िस की
शेरनी को यह सब शोभा नहीं देता सीमा। हमें
अपनी सखी की एक ही अदा तो पसंद है, जिसके
प्यार में कोई आवाज़ नहीं और टूटे तो झंकार नहीं |”!
“झंकार तो उस दिन हुई थी; जब वह थकी टूटी
रात को आठ बजे घर आई थी। दरवाज़ा खोलते ही
घनश्याम उस पर बिफर पड़े-' कभी घड़ी भी देख
लिया करो महारानी ।'
“माफ़ करना श्याम मीटिंग ज़य ज़्यादा ही लम्बी
खिंच गई ।!
“यह तुम्हाग कौन सा ऑफ़िस है, जो आधी
रात तक खुला रहता है। तुम्हें यह भी भुला देता है
कि घर में तुम्हारे पति और बचे हैं। वो भी तुम्हारी
प्रतीक्षा करते हैं।'
सीमा का दिन ऑफिस में आज वैसे ही बुरा
बीता था। यह नया बॉस प्रमोद नागर जब से आया
है, कोई न कोई मुसीबत खड़ी करता रहता है।
सीमा का सिर दर्द से फ़य जा रहा था। सारा दिन
कुछ खाने को भी फुरसत नहीं मिली थी। ऊपर से
घर आते ही सदा की तरह घनश्याम का क्रॉस
एग्ज़ामिनेशन। वह बड़े शांत स्वर में बोली....
“बच्चों के पास आप जो हैं श्याम । मैं जानती हूँ
आप उनको कभी मेरी कमी महसूस नहीं होने देते।'
'हाँ... मैं घर में बच्चों की आया बना रहूँ, तुम्हारी
नौकरी करता रहूँ, यही तो चाहती हो न तुम ।'
'किसी को तो काम करना है न श्याम......... ॥
अभी सीमा को बात पूरी भी नहीं हुई थी कि
16 हित जनवरी-मार्च 2015
मतलब क्या है। मैं निठल्ला हूँ। तुम्हारी कमाई पर
जी रहा हूँ। जानती हो कि तुमसे ज़्यादा कमाता हूँ
मैं। चार दिन मुझे नौकरी से घर क्या भेज दिया कि
तुम दिखाने लगी अपने रंग | एक दिन छोड़ दूँगा तो
निकल जाएगी सारी हेकड़ी | देखता हूँ, कैसे पालती
हो नौकरी के साथ बच्चों को।”'
* श्याम प्लीज़ धीरे बोलिए .... बच्चे कहीं सुन
न रहे हों।'
* अच्छा है, जो वो भी सुनें अपनी माँ की करतूतों
को । यह आज फिर अतुल आया था न तुम्हें छोड़ने ।'
“आप ही तो सुबह मुझे काम पर छोड़ कर आए
थे। आप को कार सर्विस के लिए जाने वाली थी।
फिर यदि अतुल मुझे छोड़ कर गया है, तो उसमें
हर्ज़ ही क्या है। हमारा घर उसके रास्ते में ही तो
ता
'साफ-साफ़ क्यों नहीं कहती कि तुम दोनों के
बीच कुछ चल रहा है....'
“श्याम........ इतना घिनौना इल्ज़ाम लगाने से
पहले यह तो सोच लिया होता कि में आपको
ब्याहता और चार बच्चों की माँ हूँ।' सीमा हमेशा
की तरह रोती हुई बिना कुछ खाए वहाँ से जाने
लगी तो घनश्याम पीछे से बोले-'में कल सुबह
लीड जा रहा हूँ। कल सुबह तक भी क्यों रुकूँ।
अभी जा रहा हूँ। मुझे जॉब पर वापिस बुला लिया
गया है।'
“श्याम कुछ दिन और अभी बच्चों के पास रुक
जाते। मेरे ऑफिस में काफी गड़बड़ चल रही है।'
सीमा जाते हुए रुक गई।
“क्यों,... मैं तुम्हारे बच्चों की आया हूँ।' श्याम
* चिल्लाकर बोले
'ये बच्चे आपके भी तो हैं।'
“नहीं ये मेरे नहीं आपके बच्चे हैं। सँभालिए
आप अपनी गृहस्थी को अकेले। मैं भी देखता हूँ
तुम कब तक...... मेरा तुमसे और तुम्हारे बच्चों से
कोई मतलब नहीं ।' ऊपर बैडरूम का दरवाज़ा ज़ोर
से बंद हुआ। जिसका सीमा को डर था वही हुआ।
बच्चों ने सब कुछ सुन लिया था। सुनाया और
सिखाया तो घनश्याम ने था जाने से पहले, अपनी
मझली बेटी रेनु को।.......
'रेनु बेय पापा का एक काम करोगी।'
“जी पापा।'
“ये हम दोनों के बीच की बात होगी । मम्मा को
इस विषय में कुछ नहीं बताना। तुम तो जानती ही
हो कि मम्मा तुम्हें कितना डॉटती हैं। तुम मेरी
लाड़ली बेटी हो इसलिए तुमको यह काम सौंप कर
जा रहा हूँ।'
“बोलिए पापा मुझे क्या करना होगा।'
'मैं कल सुबह लीड वापिस जा रहा हूँ। तुम
बस अपनी मम्मा पर नज़र रखना कि वह कितने
बजे काम से घर आती हैं और अतुल अंकल साथ
में आते हैं कि नहीं ।'
* अतुल अंकल मुझे बिल्कुल अच्छे नहीं लगते
पापा।'
'मैं जानता हूँ बेय, इसीलिए तो यह काम तुम्हारी
बड़ी बहन को न देकर तुम्हें सौंप रहा हूँ।'
“आई लव यू पापा।' रेनु पापा से लिपटते हुए
बोली।
“ठीक है बेय मैं तुम्हें फ़ोन करता रहूँगा।'
आज घनश्याम ने छोटी सी बच्ची के दिमाग में
भी शक का बीज डाल दिया था। यह फ़ालतू का
शक श्याम को न जाने कहाँ ले जाएगा। वह तो
सीमा का कोई तर्क सुनने को तैयार नहीं हैं। सीमा
का स्त्रीत्व घायल हो कर रह गया। आदमी को
अपने पुरुषत्व का इतना घमंड। अब में इनको
दिखाऊंगी कि पुरुष के बिना भी स्त्री सम्पूर्ण है।
सीमा की आँखों के आँसू सूख गए । नहीं ....... वह
अबला नारी बन कर नहीं जियेगी।
सीमा ऑफिस में बैठी कुछ चिट्टियाँ पढ़ रही
थी कि प्रमोद उसके कमरे में आया.. सीमा जी,
आज शाम को काम के पश्चात् कुछ दूसरे कम्युनिटी
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