खुदाराम | KHUDARAM

KHUDARAM by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaपाण्डेय बेचन शर्मा - Pandey Bechan Sharma

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पाण्डेय बेचन शर्मा - Pandey Bechan Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तुम अब हिन्दू नहीं, मुसलमान हो। दो महीने तक मुसलमान से पानी भराने की & है और चौका बर्तन कराने के बाद भी क्या तुम्हारा हिन्दू रहना संभव है? 6: मैंने कुछ जान बूझकर तो मुसलमानिन के हाथ का पानी पिया नहीं। उसने है मुझे धोखा दिया। इसमें मेरा क्या अपराध हो सकता है? *अ कं “तैया मेरे हम हिन्दू हैं। कोई जानबूझकर गो-हत्या करने के लिये गाय के हि श हु गले में रस्सा नहीं बाँधता। फिर भी बैँधी हुई गाय के मरने पर बॉधने वाले को 4 हत्या लगती है। प्रायश्चित करना पड़ता है। 2: 9 प्रायश्चित-चर्चा चलने पर व्यवस्था के लिये पुरोहित और पण्डितों की पुकार 2) हुई। बस ब्राहमणों ने चारों वेद, छः शास्त्र, छत्तीसों स्मृति और अठारहों पुराण का मत लेकर यह व्यवस्था दी कि “अब देवनन्दन पूरे म्लेच्छ हो गए | यह किसी कर ८० ( लाचार , समाज से अपमानित, परित्यक्त, पतित देवनन्दन सपरिवार अल्ला अ- .<2 कप --पह कस ->-०-----<-कााा-->-----..ड-...._समाकिकत- 3...“ ८ +-----आााा---- आज करत. जरा ले. इथबनकर तय ५ 9 उच्काक तरह भी हहेन्दू नहीं हो सकते। ख रे | मियाँ की शरण में चले गये। वह और करते ही क्या ! मनुष्य स्वभाव से ही सहानुभूति 24 चाहता है, प्रेम चाहता है। हिन्दू समाज ने इन सब दरवाजों को देवनन्दन के लिये बन्द कर दिया। इतना हो जाने पर उनके लिये मुसलमान होने के सिवा दूसरा £6. कोई पथ ही नहीं था। देवनन्दन, उल्फत अली बन गये और उनका पुत्र रघुनन्दन, छ स्का इनायत अली। ह उस दिन आर्य समाज के मंत्री पण्डित वासुदेव शर्मा समाज-भवन में ही बैठे (24 कोई उर्दू अखबार पढ़ रहे थे। भवन के बाहर-बरामदे में दो पंजाबी महाशय है के । पायजामा और कमीज पहने साय॑-सन्ध्या कर रहे थे। उसी समय एक दुबला-पतला (“* “मह लग्वा सा पुरुष भवन में आया। उसकी आहट पा शर्माजी ने चश्माच्छादित आखीं हि 5 से उसकी ओर देखा। पहचान गए 4 2 ५ | कहो मियाँ इनायत अली, आज इधर कैसे? कर: के है आप ही की सेवा में कुछ निवेदन करने आया हूँ। शर्माजी ने चश्मा उतार लिया। उसे करते के कोने से साफ करने के बाद




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